घास काटने वाली महिलाओं के साथ पुलिसिया बदसलूकी का मामला तूल पकड़ा, सीएम के घेराव की तैयारी

By गोपाल लोढियाल

उत्तराखण्ड के संवेदनशील लोगों व आंदोलनकारी शक्तियों एंव विभिन्न राजनीतिक दलों ने रविवार को ‘हेलंग चलो’ की कार्यकर्म को सफलतापूर्वक संपन्न किया।

15 जुलाई 22 को हेलंग जनपद चमोली में बांध निर्माण कम्पनी के कर्मचारियों एंव पुलिस तथा सीआईएसएफ के जवानों द्वारा महिलाओं के साथ किये गये अमानवीय व्यवहार किया गया था।

जिसके बाद इस कार्यकर्म के आयोजन हेलंग में उत्तराखण्ड के कोने कोने से कार्यकर्ता पहुंचे। जो साथी नहीं आ सके उन सबने अपनी -अपनी जगह हेलंग के समर्थन मे कार्यक्रम आयोजित किये।

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हम सभी के सामने सवाल था कि हेलंग एकजुटता के बाद क्या? तो इसका जवाब कल ही हेलंग में कार्यक्रम के बाद सभी प्रमुख साथियों ने बैठकर तय कर दिया। जब तक आन्दोलन की पांच मांगों को सरकार द्वारा माना नहीं जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

आंदोलनकारियों की मुख्य मांगे

  • महिलाओं से घास छीनने, उन्हें छह घंटे हिरासत में रखने और डेढ़-दो साल की बच्ची को एक घंटे तक कस्टडी में रखने वाले सीआईएसएफ़ और पुलिस कर्मियों को निलंबित कर, उनके खिलाफ वैधानिक कार्यवाही अमल में लायी जाये।
  • इस मामले में पूर्वाग्रह से ग्रसित हो कर उत्पीड़ित महिलाओं के विरुद्ध अभियान चलाये हुए चमोली के जिलाधिकारी श्री हिमांशु खुराना को तत्काल उनके पद से हटाया जाये और पहली बार जिलाधिकारी नियुक्त होने के बाद ऐसी पूर्वाग्रह युक्त कार्यवाही करने को ध्यान में रखते हुए उन्हें किसी सार्वजनिक पद पर नियुक्त न किया जाये।
  • वन पंचायत नियमावली व वनाधिकार कानून 2006 का उल्लंघन करके ली गयी वन पंचायत की गैरकानूनी स्वीकृति को रद्द किया जाये, इस अवैध अनुमति को आधार बना कर पेड़ काटने वालों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की जाये। इसी तरह ग्राम सभा से गुपचुप ली गयी तथाकथित अनुमति को भी निरस्त किया जाये।
  • टीएचडीसी के विरुद्ध मलबा नदी में डालने और पेड़ काटने के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर, वैधानिक कार्यवाही अमल में लाई जाये। टीएचडीसी व अन्य परियोजना निर्माता कंपनियों के कामों की जनता की भागीदारी के साथ मॉनिटरिंग (अनुश्रवण) की व्यवस्था की जाये।
  • हेलंग प्रकरण की जांच, उच्च न्यायालय के सेवारत अथवा सेवानिवृत न्यायाधीश से करवाई जाये

आंदोलन के स्वरूप के बारे में अभी तय हुआ है कि सोमवार 1 अगस्त को इन मांगों के समर्थन में सभी जिला मुख्यालयों तहसील मुख्यालयों व जहां-जहां सम्भव है वहां प्रदर्शन धरना व ज्ञापन दिया जाएगा।

इन मांगों के संदर्भ में गढ़वालआयुक्त एंव मुख्य सचिव उत्तराखण्ड सरकार से भी प्रतिनिधि मंडल मिलेंगे।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने देहरादून में मुख्यमंत्री के घेराव की भी बात कही और बताया कि इसकी तिथि व कार्यक्रम सरकार की प्रतिक्रिया के मुताबिक तय होगी।

आन्दोलन को आगे चलाने के लिए एक संयोजन समीति तय की गई तथा कहा गया कि हेलंग की रणनीतिक बैठक में मौजूद व यहाँ पहुंचे सभी साथी संयोजन समीति के सदस्य होंगे व अभी तक तथा भविष्य में भी सक्रिय साथियों को संयोजन समीति में माना गया।

इसके बाद पुनः हेलंग के आन्दोलन को व्यापक बनाने तथा उत्तराखण्ड की अस्मिता एंव जल जंगल जमीन आधारित नवनिर्माण के संकल्प को दोहराया गया।

पहाड़ का जीवन यहां की महिलाओं के श्रम और कौशल पर निर्भर रहा है। पहाड़ के विकास तथा नीतियों के केन्द्र में महिलाओं के सपनों व समस्याओं को रखा जायेगा।

भविष्य में इस आन्दोलन के निर्णयों व प्रक्रियाओं को सामुहिक तौर आगे चलाया जायेगा।

अंत में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हेलंग आन्दोलन के समर्थन में जिन संगठनो, राजनीति दलों व साथियों ने कार्यक्रम किये उन सभी को एकजुटता के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया गया। तथा जिन भी साथियों ने आर्थिक सहायता प्रदान की उनका भी आभार व्यक्त किया गया।

‘हेलंग चलो’ कार्यक्रम में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया जिनमें विभिन्न गांवो की महिला मंगल दल लंगासी पैनी हेलंग ऊर्गम गुलाब कोटि आदी प्रमुख थे। इसके अतिरिक्त मंदोदरी देवी, प्रेम , इन्द्रेश मैखुरी, पी.सी. तिवारी, अतुल सती, तरूण जोशी, भुवन पाठक, ईश्वरी दत्त जोशी, एडवोकेट डी. के जोशी, एडवोकेट कैलाश जोशी, मुनीष, चारु तिवारी, हीरा जंगपांगी, प्रकाश चन्द्र जोशी, अनिल स्वामी, रमेश कृषक, , नरेन्द्र पोखरियाल, अरुण कुकसाल, योगेन्द्र कांडपाल, सीताराम बहुगुणा, आनन्द नेगी और मदन मोहन चमोली , मुनीष कुमार, मनीष सुंदरियाल, प्रकाश जोशी, हीरा जंगपांगी, गोपाल लोधियालटट, गोपाल भाई, आनंद बिष्ट, लक्ष्मण आर्या, सुंदर बरोलिया, शिवानी पांडे भारती पाण्डे. सलीम मलिक, जसवंत सिंह.जय नारायण नौटियाल ,संजय भंडारी विनोद जोशी आदि शामिल रहे।

(फोटो में बीच में वो बुजुर्ग महिला हैं, जिन्हें पुलिस ने घास काटने के जुर्म में आठ घंटे तक थाने में बिठा कर रखा। फोटो गोपाल लोढियाल।)

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