मंदीप की रिहाई की मांग करते हुए पत्रकारों ने किया दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन

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शनिवार शाम को दिल्ली सिंघु बॉर्डर से गिरफ्तार किए जाने के बाद, स्वतंत्र पत्रकार मंदीप पुनिया को रविवार को दिल्ली पुलिस ने तिहाड़ कोर्ट में पेश किया जिसके बाद उन्हें 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

मालूम हो कि मंदीप पिछले दो महीनों से लगातार किसान आंदोलन को कवर कर रहे थे। दो दिन पहले जब सिंघु ब़ॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों पर खुद को स्थानीय कह रहे लोगों द्वारा हमला किया गया था जिसके बाद मंदीप ने अपने एक फेसबुक लाइव में हमले में शामिल लोगों के भाजपा और उसके संगठनों से जुडे होने को लेकर साक्ष्य पेश किये थे।

उन्होंने लाइव के दौरान पुलिस के कार्यशैली पर भी प्रश्न खड़े किये बताया कि कैसे पुलिस की मौजुदगी के बीच हमलावार किसानों पर पत्थरबाजी कर रहे थे और माना ये जा रहा है कि मंदीप पर ये कारवाई उसी के फलस्वरुप की गई है।

वही  दिल्ली पुलिस पर मंदीप पर  किये गये  हालिया कारवाई के बाद से गंभीर सवाल उठने लगे है। रविवार को भी पेशी के दौरान मनदीप को कोर्ट में अपना पक्ष रखने का  मौका  ही नहीं दिया गया। आरोप है कि पुलिस ने उनके वकील को पेशी का समय 2 बजे बताया था। लेकिन पुलिस ने उन्हें इससे पहले ही पेश कर दिया जिससे उनके वकील पेश ही नहीं हो पाए।

दुसरी तरफ मंदीप की रिहाई की मांग और दिल्ली पुलिस के कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए सैकड़ो पत्रकारों ने पुलिस मुख्यालय के बाहर एकत्रित होकर विरोध प्रदर्शन किया।

पत्रकारों ने एक स्वर में कहा कि मंदीप पर इस तरह की कारवाई निष्पक्ष पत्रकारिता पर हमला हैं और इस तरह की कारवाईयों से स्वतंत्र आवाज़ों को दबाने कि कोशिश की जा रही है।

आपको बता दें  दिल्ली पुलिस ने किसान आंदोलन को कवर कर रहे स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया को शनिवार को हिरासत में ले लिया था।

कई घंटों तक यह किसी को ज्ञात नहीं था कि दिल्ली पुलिस उन्हें कहां ले गई है, लेकिन अभी मिल रही जानकारी के मुताबिक पुलिस उन्हें स्वरूप नगर थाने से अलीपुर थाने लेकर आई थी। पुलिस ने उन पर सिंघु बॉर्डर पर दिल्‍ली पुलिस के एसएचओ से अभद्रता करने और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने के आरोप लगाए हैं।

दिल्ली पुलिस ने पुनिया के खिलाफ चार धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। मनदीप पर IPC की धारा 186 (सरकारी काम में बाधा पहुंचाना), IPC की धारा 353 (सरकारी अधिकारी पर हमला करना), IPC की धारा 332 (लोकसेवक को चोट पहुंचना) और IPC की धारा 34 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

इससे पहले  गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड और हिंसा पर रिपोर्टिंग को लेकर छह वरिष्ठ पत्रकारों और संपादकों के खिलाफ देशद्रोह जैसे आरोप में मामले दर्ज किये गये थे।

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