बॉर्डर पर भीड़ कम होने से क्या किसान आंदोलन कमज़ोर हो रहा है?

पिछले लगभग 3 महीनों से चल रहे किसान आंदोलन को लेकर हाल में तरह-तरह के दावे किये जा रहे हैं।

आंदोलन स्थल पर लोगों की भीड़ पहले के मुकाबले कम हुई है इसको लेकर कोई दो राय नही है लेकिन क्या कम होती भीड़ इस बात का संकेत है कि आंदोलन कमजोर हो रहा या लोग अब थक रहे है या फिर सरकार ये चाहती है कि ये आंदोलन ऐसे शिथिल पड़ जाए।

पिछले दिनों जब वर्कर्स यूनिटी की टीम बरनाला में आयोजित किसान मज़दूर महारैली के दौरान रैली को कवर कर रही थी तब ये सारे सवाल रैली में उपस्थित किसान नेताओं से किये गए।

बलवंत सिंह उपली (बीकेयू,डकोंदा) जो कि संयुक्त किसान मोर्चा के बरनाला जिला के संयोजक भी है से जब हमने आंदोलन को लेकर उठ रहे सवालों को लेकर बात की तो उनका कहना था कि “बरनाला जैसे छोटे जगह में इस जन सैलाब को देख क्या आप कह सकते है कि आंदोलन को लेकर जो भ्रम की स्थिति बताई जा रही है उसमें थोड़ी भी सच्चाई है।”

उन्होंने बताया कि बरनाला जैसे छोटे जगह पर भी किसानों के 6 मोर्चे लगे हुए है। किसान न पहले भ्रम में थे न अब भ्रम में है।

बलवंत सिंह का कहना था कि ” सरकार किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए सारे हथकंडे अपना रही है।जो सरकार अपनी जनता के प्रतिरोध को दबाने के लिए सड़कें उखड़वा सकती है, किसानों के रास्ते में कीलें बिछवा दे वो आंदोलन के खात्मे के लिए किसी भी स्तर पर जा सकती है।”

बरनाला के महापंचायत की खास बात ये भी रही कि महिलाओं की उपस्थिति इस रैली में काफी ज्यादा थीं।

हमने जब महिलाओं से बात करने की कोशिश की तो उनका भी दो टूक जवाब था कि कृषि बिल के समाप्ति से कम हमे कुछ भी मंज़ूर नहीं।

बलवंत सिंह ने बताया कि सरकार अपने देश के अन्नदाताओं से लड़ने के लिए जिन तरीकों का इस्तेमाल कर रही है वो पूरा देश देख रहा हैं। 21 साल की लड़की को ये सरकार जेल दे रही है किसानों का समर्थन देने के लिए। अडानी और अम्बानी के लिए समर्पित इस सरकार की सारी हेकड़ी दुश्मन देश के खिलाफ धरी की धरी रह जाती है।”

कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि दिल्ली में किसानों की भीड़ भले ही कम हुई हो लेकिन अलग -अलग जगहों पर हो रहे किसान महापंचायत यह बताने के लिए काफी है कि किसान एक रणनीति के तहत अपनी लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.