प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कब और क्यों रोते हैं?

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By राकेश कायस्थ

पहली बार मैंने मोदीजी के रोने की भविष्यवाणी तब की जब गोरखपुर के अस्पताल में बिना इलाज और ऑक्सीजन 60 से ज्यादा बच्चे मर गये थे।

मगर मोदीजी नहीं रोये।

फिर मैंने उनके रोने की भविष्यवाणी की जब साहेब वाराणसी यात्रा पर थे। उसी दौरान बीचएयू में पुलिस ने असामाजिक तत्वों से सुरक्षा मांग रही लड़कियों पर लाठियां बरसाई।

मगर बेटी बचाने वाले प्रधानमंत्री नहीं रोये।

मैंने उन्हें अनगिनत बार रोते देखा। इसलिए उम्मीद थी कि आँसू उन्होंने सही मौके के लिए बचाकर रखा होगा।

देश की राजधानी में दंगा हुआ। मोदीजी अमेरिकी राष्ट्रपति की अगवानी मेंं व्यस्त थे।

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी में तीन दिन तक कत्ल-ए-आम होता रहा। मुझे लगा कि तमाम काम निपटाने के बाद मोदीजी फुर्सत से रोएंगे। मगर अफसोस मोदीजी नहीं रोये।

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद जब राज्यसभा से विदा हो रहे थे, तब मोदीजी का गला भर आया। वो संसद में रो पड़े।

उसके बाद मुझे समझ में आया कि मोदी जी के आँसू भी उनके फैसलों की तरह अनप्रिडेक्टेबल है। उनकी रूलाई में भी एक मास्टर स्ट्रोक है। आज लंबे समय बाद उन्होंने मास्टर स्ट्रोक खेला है।

ऐसे समय जब अपनों के शवों पर विलाप करके देशवासियों के आँसू सूख चुके हैं, मोदीजी रो रहे हैं। अब तमाम एंकर भी रोएंगे और पीछे-पीछे भक्त भी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और व्यंगकार हैं। उके फ़ेसबुक पोस्ट से साभार।)

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