दिवंगत मारुति मज़दूर नेता जियालाल के परिवार को यूनियन ने दिए 20.37 लाख रु.

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मारुति सुजुकी मानेसर प्लांट में 18 जुलाई 2012 को हुई घटना के बाद से जेल में कैद 13 मज़दूर नेताओं में से एक जियालाल की बीते 4 जून को कैंसर से मौत हो गई थी।

मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन, मानेसर ने जियालाल के परिवार की मदद के लिए यूनियन पॉलिसी के तहत कलेक्शन करके कुल 20,37,601 रुपये दिए हैं।

एक विज्ञप्ति जारी कर यूनियन ने कहा कि इस फंड में 7 लाख रुपये यूनियन फंड से, और बाकी सभी मजदूरों से इकट्ठा किए गए थे। गौरतलब है कि यूनियन समय समय पर जेल में बंद अपने 13 साथियों के परिजनों को आर्थिक मदद करती रही है।

यूनियन ने कहा है कि, “जेल में बंद 13 साथियों में से कुछ दिन पहले जियालाल का कैंसररूपी गम्भीर बीमारी के कारण निधन हो गया था। जो साथी जेल में बंद हैं, उनके अभूतपूर्व योगदान को व उनके द्वारा दिए गए बलिदान को हम और आप कभी भी नहीं भूल पाएंगे और ना ही कभी उनका यह कर्ज चुका कर पाएंगे। यह मदद उनके द्वारा दिए गए बलिदान का कर्ज कभी नहीं चुका सकती और ना ही उनके परिवार का जीवन भर भरण पोषण कर सकती है लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि यह छोटी सी मदद उनके परिवार के जीवनयापन में दोबारा से सुचारू रूप से जीवन व्यतीत करने के लिए थोड़ा सहारा देगी।”

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मारुति सुजुकी मानेसर प्लांट में 18 जुलाई 2012 को हुई साजिशपूर्ण घटना के बाद से जेल की कालकोठरी में कैद और अन्यायपूर्ण सजा झेलते 13 मज़दूर साथियों में से जियालाल भी एक थे। इनको दलित मज़दूर होने के कारण भी अतिरिक्त प्रताणना झेलनी पड़ी। पहले कंपनी प्रबंधन की ओर से और बाद में पुलिस कस्टडी में टॉर्चर में।

मारुति आंदोलन के दौरान 2500 मज़दूरों को अपनी आजीविका से हाथ धोना पड़ा और उसके बाद से उनके परिवारों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।

जेल में उम्र कैद के वजह से परिवार को काफी यातनाएं झेलनी पड़ी। जियालाल का जेल के अंदर ही कैंसर हुआ था और  4 जून को वो कैंसर की बीमारी के शिकार हुए। आरोप है कि राज्य द्वारा उनका इलाज़ ठीक से न किए जाने के कारण, लास्ट स्टेज में पता चला।

सजा, बेकारी व यातनाएँ झेलते मज़दूरों का कसूर बस इतना था कि कंपनी के मज़दूर विरोधी रवैये के खिलाफ आवाज़ उठाया, ठेकेदारी प्रथा के खिलाफ और मज़दूर यूनियन व ताकत को आगे बढ़ने का संघर्ष किया।

यूनियन का कहना है कि मारुति सुज़ुकी वर्कर्स यूनियन के मजदूर नेताओं के साथ, 421 से अधिक टेर्मिनेटेड मज़दूरों का मुद्दा आज वहीं है और कानूनी प्रक्रिया चल रही है। मारुति सुजुकी प्रबंधन जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनी और हरियाणा व केंद्र सरकार के सामने मज़दूर आंदोलन के तरफ़ से तीखा सवाल बनकर अभी भी ये मौजूद है।

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