अबतक 1 लाख रेलवे कर्मचारी कोरोना पॉज़िटिव, 1952 कर्मचारियों की हुई मौत, 4000 कर्मचारी और परिजन अस्पताल में

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भारतीय रेलवे पिछले एक साल में कोरोना के चलते अब तक अपने 1952 कर्मचारियों को खो चुका है। इनमें फ्रंटलाइन वर्कर से लेकर स्टेशन मास्टर स्तर तक के अधिकारी शामिल हैं।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, रेल मंत्रालय ने सोमवार को जानकारी दी कि फिलहाल रोजाना एक हजार के करीब रेलकर्मी बीमारी की वजह से गैरहाज़िर होने का बात रिपोर्ट कर रहे हैं।

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सुनीत शर्मा ने बताया, ‘अभी की स्थिति यह है कि 4000 बेडों पर रेलकर्मी और उनके परिवारवाले भर्ती हैं।’

ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन में मुताबिक, ‘अब तक 113 स्टेशन मास्टर कोरोना से अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें से ज्यादातर की मौत इस साल कोरेाना की दूसरी लहर में हुई। रेलवे प्रोटेक्शन बोर्ड के 50 कर्मचारियों की जान भी कोरोना की वजह से गई।

रेलवे बोर्ड और रेल डिवीजनों को भेजे पत्र में एसोसिएशन ने सभी स्टेशन मास्टरों के लिए 50 लाख रुपये के स्पेशल बीमा और उनके तत्काल वैक्सीनेशन की मांग की।

पत्र में लिखा गया कि कोरोना के चलते कई स्टेशन मास्टर बीमार पड़ रहे हैं। स्टाफ कम होने के चलते उन्हें ओवरटाइम भी करना पड़ रहा है, क्योंकि किसी स्टेशन को बिना स्टेशन मास्टर के छोड़ा नहीं जा सकता है।

रेलवे की कर्मचारी यूनियन के मुताबिक, अब तक एक लाख के करीब रेलकर्मी कोरोना पाॅजिटिव हुए हैं, जिनमें से दो तिहाई इससे उबर चुके हैं।

वहीं दिल्ली डिवीजन के रेलवे मैनेजर एससी जैन ने कहा, ‘फिलहाल हमारी प्राथमिकता स्टाफ और अधिकारियों के वैक्सिनेशन की है। अलग-अलग जोन और डिवीजन में राज्य सरकारों की मदद से इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।’

रेलवे बोर्ड के मुताबिक, ‘रेलवे किसी दूसरे उपक्रम या संस्था से इस मामले में अलग नहीं है और हमारे लोग भी कोविड का शिकार हो रहे हैं। हमने अपने अस्पतालों में बेड बढ़ाए हैं और ऑक्सीजन के प्लांट लगाए हैं। हम अपने स्टॉफ की देखभाल कर रहे हैं।’

उल्लेखनीय है कि पिछले साल कोरोना की पहली लहर में मोदी सरकार ने अभूतपूर्व लॉकडाउन घोषित किया था जिसमें क़रीब एक महीने तक रेलवे को भी ठप कर दिया गया था। लेकिन इस बार महामारी के भीषण विस्फ़ोट के बावजूद रेलवे को नहीं रोका गया।

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