74 % भारतीयों की पहुंच से बाहर पौष्टिक खाना: संयुक्त राष्ट्र

poverty in india

स्वस्थ आहार महंगा,उसकी तुलना में आय कम बढ़ रही

संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा हाल में जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2020 में 76 % लोग स्वस्थ आहार की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं थे.

2021 में मामूली सुधार के साथ 74 % यानि 100 करोड़ से ज्यादा लोग सेहतमंद खाना वहन करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

स्टेट ऑफ फूड सिक्योरटी एंड न्यूट्रिशन ,2023 शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि उस अवधि में खाद्य सामग्री की कीमतें जिस तेजी से बढ़ी ,आय उसकी तुलना में नहीं बढ़ सकी.

रिपोर्ट से पता चलता है कि देश की तीन चौथाई लोग हेल्दी भोजन का जुगाड़ करने में पूरी तरह से असमर्थ है.

5 साल से कम के दो करोड़ से अधिक बच्चों का वजन कम

2022 में बच्चों में वेस्टिंग (लम्बाई की तुलना में कम वजन) के मामले में भारत में दर उच्चतम रही.

यहाँ 5 साल से कम उम्र के 2.1 करोड़ (18 .7 %) बच्चे इस स्वस्थ्य समस्या का सामना कर रहे थे.

भूटान में इस तरह के मामले नहीं मिले.

जबकि अफगानिस्तान में यह दर 3 लाख,बांग्लादेश में 14 लाख,ईरान में 3 लाख,नेपाल में 20 लाख ,श्रीलंका में 3 लाख और पाकिस्तान में 21 लाख बच्चे इस स्थिति का सामना कर रहे थे.

दक्षिणी एशिया में जन्म के समय कम वजन के सबसे अधिक (27.4 % ) मामले भारत में है. इसके बाद बांग्लादेश और नेपाल हैं.देश की 15 से 49 वर्ष की 53% महिलाएं एनीमिया ग्रसित थीं,जो दक्षिणी एशिया में ज्यादा थी.

73 .5 करोड़ लोग भूखे मर रहे,इनमें 40 करोड़ एशिया के

दुनिया में 2022 में 73 .5 करोड़ लोग भुखमरी या कुपोषण के शिकार थे.इनमें से 40 करोड़ से ज्यादा लोग एशिया के हैं. इनमें से 31 करोड़ से ज्यादा लोग तो दक्षिणी एशिया में रहते हैं.

अफ्रीका में 28.2 करोड़,तो लैटिन अमेरिका और कैरिबिया में 4.3 करोड़ कुपोषित थे.

(दैनिक भास्कर की खबर से साभार)

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