लाल किले पर उपद्रव में मोदी सरकार की साज़िश का आरोप, एक मार्च का संसद मार्च स्थगित

किसान गणतंत्र दिवस परेड में हुई छिटपुट हिंसा के लिए संयुक्त किसान मोर्चे ने मोदी सरकार की साज़िश करार दिया है और कल की घटना का संज्ञान लेते हुए एक फ़रवरी को संसद मार्च करने की अपनी योजना को स्थगित करने की घोषणा की है।

साथ ही दीप सिद्धू और सतनाम सिंह पन्नू (किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी) पर दिल्ली पुलिस के साथ मिलीभगत कर उपद्रव आयोजित करने के आरोप लगाए गए हैं।

सयुंक्त किसान मोर्चा ने जनता से दीप सिद्धू जैसे तत्वों का सामाजिक बहिष्कार करने की अपील की है।

उधर किसान नेता वीएम सिंह और भाकियू (भानू) ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया है। चिल्ला बॉर्डर को पुलिस ने खाली करा लिया है लेकिन ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर वीएम सिंह का भारी विरोध हुआ और लोग अभी भी डटे हुए हैं।

वीएम सिंह ने राकेश टिकैत पर किसानों को बहकाने का आरोप लगाया है और संयुक्त मोर्चे से भी नाराज़गी व्यक्त की है।

मोर्चे की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ‘पिछले सात महीनों से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने की साजिश अब जनता के सामने उजागर हो चुकी है।’

हिंसा की निंदा करते हुए मोर्चे के नेता डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि ‘कुछ व्यक्तियों और संगठनों (मुख्य तौर पर दीप सिद्धू और सतनाम सिंह पन्नू की अगुवाई में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी) के सहारे, सरकार ने इस आंदोलन को हिंसक बनाया। हम फिर से स्पष्ट करते हैं कि हम लाल किले और दिल्ली के अन्य हिस्सों में हुई हिंसक कार्रवाइयों से हमारा कोई संबंध नहीं है। हम उन गतिविधियों की कड़ी निंदा करते हैं।’

मोर्चे ने कहा है कि ‘जो कुछ जनता द्वारा देखा गया, वह पूरी तरह से सुनियोजित था। किसानों की परेड मुख्य रूप से शांतिपूर्ण और मार्ग पर सहमत होने पर हुई थी। हम राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान की कड़ी निंदा करते हैं, लेकिन किसानों के आंदोलन को ‘हिंसक’ के रूप में चित्रित नहीं किया जा सकता क्योंकि हिंसा कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा की गई थी, जो हमारे साथ जुड़े नहीं हैं।’

बयान के अनुसार, सभी सीमाओं पर किसान कल तक शांतिपूर्ण तरीके से अपनी-अपनी परेड पूरी करके अपने मूल स्थान पर पहुंच गए थे।

मोर्चे ने प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की बर्बरता की कड़ी निंदा की है और आरोप लगाया है कि पुलिस और अन्य एजेंसियों का उपयोग करके इस आंदोलन को खत्म के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास अब उजागर हो गए हैं।

किसान नेताओं ने 26 जनवरी को गिरफ्तार किए गए सभी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को तुरंत रिहा करने की मांग की है और परेड में ट्रैक्टर और अन्य वाहनों को नुकसान पहुंचाने की दिल्ली पुलिस की कोशिशों की निंदा की है।

मोर्चे ने उन लोगों के ख़िलाफ़ भी सख्त कार्रवाई की मांग की है जिन्होंने राष्ट्रीय प्रतीकों को नुकसान पहुंचाया है। किसान नेताओं ने कहा कि, ‘किसान सबसे बड़े राष्ट्रवादी हैं और वे राष्ट्र की अच्छी छवि के रक्षक हैं।’

अफसोसजनक घटनाओं के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मोर्चे ने एक फरवरी के लिए निर्धारित संसद मार्च को स्थगित करने का फैसला लिया है।

इसके अलावा, 30 जनवरी को महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर, शांति और अहिंसा पर जोर देने के लिए, पूरे देश में एक दिन का उपवास रखा जाएगा।

जानकारी के अनुसार, दिल्ली में ही नहीं, किसान संगठनों द्वारा प्रस्तावित किसान गणतंत्र परेड कई राज्यों में की गई थी। बिहार में, किसानों ने पटना सहित कई स्थानों पर गणतंत्र दिवस मनाया।

मध्य प्रदेश में, किसानों ने पूरे उत्साह के साथ इस शानदार दिन को मनाया। 26 जनवरी को दिल्ली में एनएपीएम के कार्यकर्ता किसान परेड में शामिल हुए, जो 12 जनवरी से पुणे से पैदल चले थे।

मुंबई के आजाद मैदान में एक विशाल रैली का आयोजन किया गया। बैंगलोर में, हजारों किसानों ने किसान परेड में भाग लिया और यह पूरी तरह से शांतिपूर्ण था। किसान गणतंत्र परेड में तमिलनाडु, केरल, हैदराबाद, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के किसानों ने भाग लिया।

मोर्चे ने साफ़ किया है कि किसान आंदोलन शांतिपूर्ण चलता रहेगा। किसान आश्वस्त हैं और शांति से इस सरकार से अपनी असहमति दिखा रहे हैं।

ट्रैक्टर परेड की भारी सफलता के लिए संयुक्त किसान मोर्चे ने पूरे देश वासियों का हार्दिक आभार और अभिनंदन व्यक्त किया है।

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