संयुक्त किसान मोर्चा बातचीत के लिए तैयार, कहा- सरकार रास्ता खोले

Farmer leader darshan pal

सयुंक्त किसान मोर्चे ने कहा है कि सरकार किसान नेताओं से बातचीत का रास्ता खोले, बातचीत के लिए मोर्चा तैयार है।

एक बयान में मोर्चे ने कहा है कि हमेशा बातचीत के पक्ष में रहा है। सरकार विभिन्न रुकावटों को दूर कर बातचीत का रास्ता खोले। सरकार द्वारा दिया गया प्रस्ताव किसान पहले ही अस्वीकार कर चुके है।

साथ ही किसान नेताओं ने हरियाणा हरियाणा विधानसभा में जजपा व भाजपा विधायकों के सामाजिक बहिष्कार के विरोध में किसानों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किए जाने का मोर्चे ने विरोध किया है।

किसान नेताओं ने कहा है कि यह हरियाणा के किसानों का जजपा व भाजपा विधायकों पर बनाये गए दबाब का नतीजा है।

हरियाणा सरकार द्वारा आन्दोलन को लेकर लोक व्यवस्था में विघ्न के दौरान संपत्ति क्षति वसूली विधेयक 2021 क़ानून पेश किया है। मोर्चे ने इसकी निंदा व विरोध किया है।

मोर्चे का कहना है कि इस कानून के मुताबिक आन्दोलनकारियों को गलत केसों में फसाकर जनता की आवाज़ को दबाया जाएगा। यह प्रयास वर्तमान किसान आंदोलन को खत्म करने व किसानों को झूठे केसों में फंसाने के लिए किए जा रहे है। सयुंक्त किसान मोर्चा इस कानून को हरियाणा सरकार की बौखलाहट करार देता है जहां खुद मुख्यमंत्री तक का जनता ने सामाजिक बहिष्कार किया हुआ है।

आन्दोलन को देशव्यापी स्तर पर तेज करने के सम्बंध में सयुंक्त किसान मोर्चा की अध्यक्षता में कल देशभर की ट्रेड यूनियनों, ट्रांसपोर्ट यूनियनों एवं अन्य जनाधिकार संगठनों का सयुंक्त अधिवेशन किया जाएगा और आगे की रणनीति तय की जाएगी। इस संबंध में इन सभी संगठनों को एक पत्र भी लिखा गया है।

सिंघु बॉर्डर पर हिंसा मामले में रंजीत सिंह को एफआईआर नं 49/2021 पी.एस. अलीपुर, सेशंस जज, रोहिणी कोर्ट में आज जमानत दी गयी है। रणजीत सिंह की जमानत के लिए अपना प्रयास करने वाले अधिवक्ताओं में राजिंदर सिंह चीमा वरिष्ठ अधिवक्ता और उनकी टीम में जसप्रीत राय, वरिंदर पाल सिंह संधू, राकेश चाहर, जसदीप ढिल्लों, प्रतीक कोहली और संकल्प कोहली शामिल हैं। रंजीत सिंह के कल जेल से बाहर आने की संभावना है।

ओडिशा में चल रही किसान अधिकार यात्रा कल गजापति जिले के काशीपुर पहुंची। किसानों व स्थानीय लोगों से मिल रहे भारी समर्थन से यात्रा और मजबूत हो रही है वही किसान छोटी छोटी बैठके करके भी लोगों को आन्दोलन तेज रहे हैं।

सभी 7 यात्रायें बिहार के तकरीबन 35 जिलों का दौरा करके पटना वापस लौट आई है। इस क्रम में उन्होंने 300 से अधिक छोटी-बड़ी नुक्कड़, आम व ग्राम किसान सभायें आयोजित की और किसान-मजदूरों को महापंचायत में शामिल होने का आमंत्रण दिया। इसने बिहार में लगभग 5000 किलोमीटर की यात्रा तय की और 2 हजार गांवों व तकरीबन 1 लाख किसानों से सीधा संवाद स्थापित किया।

आन्दोलन को काफ़ी समय हो गया है। राजनैतिक राय से परे सरकार सामान्य मानवीय व्यवहार भी ठीक से नहीं निभा रही है। इस आंदोलन में 300 के करीब किसानो की मौत हो गयी है। अनेको किसानो का सड़क दुर्घटनाओं भारी नुकसान हुआ है। सरकार अपना घमंडी रवैया तोड़े व किसान आंदोलन में शहीद हुए व क्षतिग्रस्त हुए किसानों को हरसंभव मदद मुहैया करवाये।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.