अडानी ग्रुप में एलआईसी के डूबे 23,000 करोड़ रुपये

By गिरीश मालवीय

अडानी के आज खुलने वाले FPO में सिर्फ एलआईसी और SBI का ही पैसा नहीं लगवाया गया है, बल्कि भारतीय स्टेट बैंक कर्मचारी पेंशन फंड के हजारों करोड़ को भी अडानी के हवाले कर दिया गया है।

ऐसे ही उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारियों के PF फंड का पैसा डिफॉल्टर कंपनी डीएचएफएल लगवा कर डुबो दिया गया था।

ये कौन डिसाइड करता है कि आपकी हमारी जीवन भर की बचत की पूंजी जो एलआईसी में जमा है। उसे अडानी की कंपनियों में लगाया जाए? और सरकारी बैंको में जमा हमारी रकम से अडानी को लोन दिए जाए ?

आख़िर इस अनाप शनाप तरीके से हमारी जमा पूंजी को अडानी को सौंपकर कौन घी पिला रहा है।

जाहिर है ये काम सरकार का ही है इसकी जिम्मेदारी से सरकार बच नहीं सकती !

कल शेयर बाजार में जो कत्ल ए आम मचा है उसमें एलआईसी के अडानी से जुड़ी कंपनियों में इन्वेस्ट किए गए लगभग 23 हज़ार करोड़ रु स्वाहा हो गए हैं।

आप पूछेंगे कि क्या सिर्फ एलआईसी का ही पैसा डूबा है और भी तो संस्थागत निवेशकों का पैसा डूबा होगा। दुर्भाग्य से ऐसा नहीं है।
अडानी समूह की कंपनियों में एलआईसी का निवेश बाकी सभी इक्विटी म्यूचुअल फंडों की होल्डिंग के मूल्य से पांच गुना से अधिक है।

अडानी ग्रुप की कंपनियों में बीमा सेक्टर की कंपनियों का कुल जितना निवेश है, उसमें से 98.9 प्रतिशत अकेले एलआईसी का है।
इक्विटी फंड की कुल संपत्ति 15.22 लाख करोड़ रुपये की मानी जा रही है।

उसमें बमुश्किल एक प्रतिशत हिस्सा यानी 15,701 करोड़ रुपये, ही अडानी की कंपनी में लगाया गया जबकि एलआईसी की अडानी में शेयरहोल्डिंग का मूल्य 8 प्रतिशत तक कर दिया गया। और ये पैसा पिछले दो सालों में ही लगाया गया था।

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अडानी समूह के शेयरों में आई गिरावट

अमेरिका के हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन अडानी समूह के शेयरों में इस गिरावट से एलआईसी को ज़बरदस्त झटका लगा है।

‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस रिपोर्ट की वजह से अडानी समूह की बाज़ार पूंजी (मार्केट कैपिटलाइज़ेशन) में शुक्रवार को एक ही दिन में 3.37 लाख करोड़ रुपये की भारी गिरावट आ गई है।

लेकिन इसका खमियाज़ा जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी को भुगतना पड़ा। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी को इस वजह से 16,627 करोड़ रुपये गंवाने पड़े। अडानी ग्रुप की सबसे बड़ी पांच कंपनियों में एलआईसी सबसे बड़ी घरेलू (नॉन-प्रमोटर) निवेशक है।

अख़बार ने लिखा है कि महज़ दो दिनों में अदानी समूह की कंपनियों में एलआईसी के निवेश का मूल्य 22 फ़ीसदी गिर गया। शुक्रवार को इसका मूल्य 72,193 करोड़ रुपये था लेकिन मंगलवार को (शनिवार और रविवार को शेयर बाज़ार में कारोबार बंद रहता है) ये घट कर 55,565 करोड़ रुपये पर आ गई।

इसके साथ ही शुक्रवार को एलआईसी की शेयरों में 3.5 फीसदी की गिरावट आई। दो दिन में इसके शेयर 5.3 फीसदी गिर गए।

एलआईसी का 2020 से पहले महज 7,304 करोड़ अडानी की कंपनियों में लगा था। लेकिन 2023 आते-आते यह रकम 10 गुना बढ़ा दी गई ।

24 जनवरी को अडानी ग्रुप में एलआईसी का निवेश 81,268 करोड़ रुपये पहुंच गया है।

इस दौरान डाइवर्सिफाइड इक्विटी म्युचुअल फंड (एमएफ) कुल मिलाकर अडानी समूह में बड़े निवेश करने से दूर रहे और हाल के महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अडानी ग्रुप की कंपनियों में अपना निवेश कम किया।

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सरकारी बैंकों ने बनाया अमीर

यानी एफपीआई ने भी अडानी से तौबा करना शुरु कर दी थी और म्यूचुअल फंड वाले निवेशक तो पहले से ही दूर थे।

तो कौन था जो एलआईसी के अलावा अडानी को करोड़ों रूपए देकर उसे दुनिया का तीसरा अमीर बना रहा था। ये थे हमारे अपने सरकारी बैंक।

सरकारी बैंकों ने अडानी ग्रुप के निजी बैंकों की तुलना में दोगुना कर्ज दिया। इसमें से 40 फीसदी कर्ज एसबीआई ने दिया है। अडानी की 5 मुख्य कंपनियों पर करीब 20 खरब रुपये का कर्ज है, जिसमें से 7 से 8 खरब रुपये का कर्ज सिर्फ बैंकों से लिया गया है।

वित्त वर्ष 2021-22 में अडानी समूह की संयुक्त उधारी 1.57 लाख करोड़ से 40.5 प्रतिशत बढ़कर लगभग 2.21 लाख करोड़ रुपये हो गई है।

अडानी पर जो हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जो आरोप लगाए गए है। यदि वे सही है तो अडानी के शेयर और गिरेंगे अडानी को डिफॉल्ट होने से बचाने के लिए उसे और लोन दिया जायेगा, हजारों करोड़ एलआईसी से लेकर और डाले जाएंगे।

अगर अडानी बच गया तो ठीक, नही तो सबके हाथो में कटोरा थमा दिया जायेगा। 35 साल जिसने झोला उठाकर भीख मांगी हो वो आपको भी अपने जेसी हालत पर ले आएगा।

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