26 नवंबर को ट्रेड यूनियनों का चक्का जाम और 27 को किसान संगठन करेंगे संसद घेराव

workers protest general strike

किसान संगठनों के संयुक्त मंच ने आगामी 26 नवंबर को होने वाली हड़ताल को समर्थन का देने का फैसला किया है। साथ ही किसान संगठनों ने 27 नवंबर को संसद चलो का नारा दिया है जिसे केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने समर्थन दिया है।

केंद्र में मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार की मज़दूर किसान विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से 26 नवंबर को बुलाई गई आम हड़ताल का ऑल इंडिया किसान संघर्ष तालमेल कमेटी (एआईकेएससीसी) ने समर्थन किया है।

बीते गुरुवार को ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों की संयुक्त बैठक में दोनों कार्यक्रमों की तैयारियों का जायजा लिया गया।

तालमेल कमेटी की ओर जारी बयान में कहा गया है कि सितम्बर में जब किसान विरोधी क़ानून पास किए गए तभी से पूरे देश में किसान संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। अगर मोदी सरकार की कान पर जूं नहीं रेंगी तो संघर्ष को और तीखा किया जाएगा।

हरियाणा और पंजाब में किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और रेलवे की पटरियों पर धरना लगा कर बैठे हुए हैं। तभी से पंजाब से होकर कोई ट्रेन नहीं चल रही है।

एटक की महासचिव अमरजीत कौर का कहना है कि किसानों, मज़दूरों के इस संघर्ष को देश भर में हर तबके का अधिक से अधिक समर्थन मिल रहा है और आम जनता, छात्र, नौजवान भी इसका खुल कर समर्थन कर रहे हैं।

इस बैठक में एआईकेएससीसी ने भी चक्का जाम को अपना समर्थन देने की जानकारी दी है। केंद्रीय  ट्रेड यूनियनों के बुलाए आम हड़ताल को विभिन्न ट्रेड यूनियनों ने भी अपना समर्थन दिया है और ज़मीन पर इस हड़ताल को सफल बनाने की तैयारी जोरों पर है।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र फ़ेडरेशनों और एसोसिएशनों ने एआईकेएससीसी को समर्थन के लिए धन्यवाद देने के साथ, 27 नवंबर को संसद चलो कार्यक्रम में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का भी वादा किया है।

बयान में कहा गया है कि कोरोना महामारी को देखते हुए तय किया गया है कि दूरी और बचाव का ध्यान रखते हुए राज्यों की राजधानियों और शहरों और कस्बों के मुख्यालय पर भी ये प्रदर्शन किए जाएंगे।

बीते 9 अगस्त को देश भर में बुलाए गए विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली के जंतर मंतर पर ट्रेड यूनियनों ने एक बड़ा प्रदर्शन किया था, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने आशा वर्करों के संगठन और केंद्रीय ट्रेड यूनियन के नेताओं पर मुकदमा दर्ज किया था, जिसकी काफ़ी आलोचना हुई थी।

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