दिल्ली दंगों में सीताराम येचुरी, योगेंद्र यादव, अपूर्वानंद के सह अभियुक्त होने की ख़बर का खंडन

yogendra sitaram apoorv

दिल्ली दंगों की जांच को लेकर शनिवार को ऐसी ख़बर प्रकाश में आई है जिसे लेकर हंगामा मचा हुआ है क्योंकि दो राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के प्रमुखों पर दिल्ली दंगों को भड़काने संबंधी ख़बर मीडिया में आई है।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने दावा किया है कि सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सामाजिक कार्कर्ता योगेंद्र यादव, अर्थशास्त्री जयती घोष, डीयू के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद और डॉक्युमेंट्री फ़िल्ममेकर राहुल रॉय के नाम दिल्ली दंगों में सह-साज़िशकर्ता के तौर पर शामिल किए गए हैं।

पीटीआई के अनुसार, इनके नाम पूरक आरोपपत्र में शामिल हैं। दिल्ली पुलिस के हवाले से समाचार एजेंसी ने कहा है कि इन सबका नाम एक अभियुक्त के बयान में लिया गया है।

हालांकि दिल्ली पुलिस ने पीटीआई की ख़बर का खंडन किया है। योगेंद्र यादव ने भी पीटीआई की ख़बर का खंडन किया है और समाचार एजेंसी पर ग़लत ख़बर चलाने का आरोप लगाया है।

योगेंद्र यादव ने ट्वीट करते हुए कहा, “पूरक चार्जशीट में सह-साज़िशकर्ता या अभियुक्त के रूप में मेरा ज़िक्र नहीं है। पुलिस की अपुष्ट बयान में एक अभियुक्त के बयान के आधार पर मेरे और येचुरी के बारे में उल्लेख किया गया है जो कोर्ट में स्वीकार्य नहीं होगा।”

योगेंद्र यादव ने कहा, “मेरा नाम डिस्क्लोज़र बयान में है जिसमें बयान देने वाले का हस्ताक्षर भी नहीं है। सबसे पहले जो भी मैंने रैलियों में कहा है उसका वीडियो मेरे फ़ेसबुक पर उपलब्ध है। पुलिस मेरे बयान को क्यों नहीं लिख देती कि मैंने क्या कहा था। मैंने जो कहा वो गांधी और संविधान की बात ही की। रही बात सीलमपुर की तो जब हमें ये जानकारी मिली थी कि वहां ये सब कुछ हो रहा है तो हम लोग वहां गए थे और हमने लोगों को समझाया था कि वे रास्ता खाली कर दें। यहां तक कि मैंने मंच से लाउडस्पीकर पर भी ये बोला था कि रास्ता खाली करें, जो हो रहा है वो सही नहीं है। अपूर्वानंद ने भी यही कहा था कि लोगों को रास्ता खाली कर देना चाहिए।”

सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया है कि ‘ज़हरीले भाषणों का वीडियो है, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?’

येचुरी ने लिखा है, “हमारा संविधान हमें न सिर्फ़ सीएए जैसे हर प्रकार के भेदभाव वाले क़ानून के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार देता है बल्कि यह हमारी ज़िम्मेदारी भी है। हम विपक्ष का काम जारी रखेंगे। बीजेपी अपनी हरकतों से बाज़ आए।”

उन्होंने परोक्ष रूप से अमित शाह पर निशाना साधते हुए लिखा, “दिल्ली पुलिस भाजपा की केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय के नीचे काम करती है। उसकी ये अवैध और ग़ैर-क़ानूनी हरकतें भाजपा के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व के चरित्र को दर्शाती हैं। वो विपक्ष के सवालों और शांतिपूर्ण प्रदर्शन से डरते हैं और सत्ता का दुरुपयोग कर हमें रोकना चाहते हैं।”

बीबीसी को दिए बयान में दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद ने कहा कि, “ये काफ़ी तकलीफ़ की बात है कि दिल्ली पुलिस के संसाधनों का इस्तेमाल एक विचारात्मक उद्देश्य के लिए किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा, “दिल्ली पुलिस से ये उम्मीद थी कि वो फ़रवरी की हिंसा के पीछे की साज़िश की जांच करेगी और उसके सच का पता लगाएगी। ऐसा न करके उसने अपनी पूरी ताक़त सीएए के ख़िलाफ़ किए गए आंदोलन को बदनाम करने और उसका अपराधीकरण करने और उसमें शामिल और उसका समर्थन कर रहे लोगों का अपराधीकरण करने में लगा दिया है।”

”सरकार की किसी भी क़दम की चाहे वो क़ानून ही क्यों न हो, आलोचना करने और उसका विरोध करके उसे बदलवाने की कोशिश करने का संवैधानिक अधिकार नागरिकों के पास है और उसे किसी भी तरह देश विरोधी नहीं कहा जा सकता। हम अभी भी उम्मीद करेंगे कि दिल्ली पुलिस फ़रवरी की हिंसा के पीछे की असली साज़िश का पता करे जिससे मारे गए लोगों और जिनका नुकसान हुआ उन्हें और पूरी दिल्ली को इंसाफ़ मिल सके।”

प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया है, “यह दिल्ली दंगों में दिल्ली पुलिस की दुर्भावनापूर्ण मंशा को साबित करता है। सीताराम येचुरी, योगेन्द्र यादव, जयति घोष और प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद पर दंगे भड़काने का आरोप लगाना हास्यास्पद के अलावा और कुछ नहीं है। उनके भाषण के वीडियो उपलब्ध हैं। उधर, कपिल मिश्रा और उनके सहयोगियों को छोड़ दिया गया है।”

तृणमूल कांग्रेस की नेता और लोक सभा सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया है, “दिल्ली दंगों की चार्जशीट में कपिल मिश्रा पर चुप्पी है लेकिन इसमें येचुरी और योगेंद्र यादव का नाम शामिल किया गया है। अब मुझे पक्का विश्वास है कि बीजेपी सरकार इतिहास की किताबों को फिर से लिखेगी जिसमें नेहरू को गुजरात दंगे भड़काने वाला मुख्य व्यक्ति बताया जाएगा।”

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