हरियाणा: किसानों ने दुष्यंत चौटाला को घेरा, सुरक्षा के साये में भागने को हुए मज़बूर

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को उस समय किसानों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा जब वो सरकारी  और निजी कार्यक्रम में भाग लेने के लिये हिसार पहुंचे थे।

हालांकि प्रशासन की ओर से उपमुख्यमंत्री के कार्यक्रम को गोपनीय रखा गया था, लेकिन फिर भी किसान संगठनों को एक दिन पहले ही इसकी जानकारी मिल गई थी।

सुबह 11 बजे से ही किसान हिसार-दिल्ली नेशनल हाईवे-9 पर एयरपोर्ट के सामने जमा होने लगे। जहां पुलिस की ओर से एयरपोर्ट के अंदर जाने वाले रास्ते पर बैरिकेडिंग की हुई थी।

किसानों की बढ़ती संख्या देख प्रशासन के पसीने छूट गए और देखते ही देखते किसानों ने अपनी ट्रालियां नेशनल हाईवे पर लगा कर जाम लगा दिया।

पुलिस प्रशासन ने किसानों को मनाने की कोशिश की लेकिन वे नहीं माने। किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़कर एयरपोर्ट में घुसने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने लाठियों के बल पर उन्हें पीछे धकेला।

जिसके बाद किसान बैरिकेडिंग के सामने ही धरने पर बैठ गए। धरने में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल रही।

दोपहर करीब साढ़े 12 बजे उपमुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर एयरपोर्ट पर उतरा। जिसके बाद किसानों ने काले झंडे दिखाने शुरू कर दिए और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

दुष्यंत चौटाला को किसानों के भारी विरोध के कारण लगभग ढाई घंटें एयरपोर्ट पर ही बिताने पड़े।

प्रशासन के काफी प्रयासों के बाद चौटाला को कई घंटे बाद किसी दूसरे रास्ते से बाहर निकालना पड़ा। उसके बाद भी किसानों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा।  सरकार को उनकी सुरक्षा के लिए 12 ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त करने पड़े।

संयुक्त किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष शमशेर सिंह लाडवा का कहना था कि “खट्टर की नाव तो बिना पतवार वाली है। पता नहीं वो कहां से संचालित होती है और कब तक सुरक्षित है,उन्हें तो डूबने की चिंता भी नहीं है। लेकिन समझ नहीं आ रहा कि दुष्यंत चौटाला डूबने का जोखिम आखिर क्यों उठा रहे हैं।”

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि चौधरी देवीलाल के परिवार से आने वाले दुष्यंत को इस सरकार से अपना समर्थन वापस लेना चाहिए था लेकिन वो सत्ता लोलुप निकले और अब प्रदेश के किसान उन्हें सबक सिखाएंगे।

किसानों ने कहा कि “खट्टर और चौटाला की जोड़ी किसानों की परवाह नहीं कर रही है क्योंकि उन्हें लगता है कि अभी चुनाव में लंबा वक्त है। लेकिन अब किसानों का विरोध उन्हें महंगा पड़ेगा। भाजपा और जजपा के विधायकों का घरों से बाहर निकलना दूभर हो जायेगा।”

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