नए श्रम क़ानूनों के कारण अगले साल एक अप्रैल से टेक होम सैलरी 10% तक कम हो जाएगी

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नए श्रम सुधारों के लागू होने के बाद अगले साल एक अप्रैल से कर्मचारियों की टेक होम सैलरी 4 से 10% घट जाएगी। इसलिए कंपनियों को अपने वर्करों के ऑफर लेटर में बदलाव करना पड़ सकता है।

मोदी सरकार ने नए पारिश्रमिक नियम के तहत जिन ड्राफ्ट नियमों की अधिसूचना जारी की है, उसके तहत कंपनियों को अपने सैलरी पैकेज के स्ट्रक्चर में बदलाव लाना पड़ेगा।

न्यूज़ 18 की ख़बर के अनुसार, नए नियमों के तहत सैलरी के साथ मिलने वाले भत्ते, कुल सैलरी सीटीसी से 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकते और इसका सीधा मतलब है कि बेसिक सैलरी, सैलरी स्ट्रक्चर का 50 फीसदी होगी।

इस नियम का पालन करने के लिए, कंपनियों को सैलरी के बेसिक पे कंपोनेंट को बढ़ाना होगा, जिसके चलते ग्रेच्युटी पेमेंट और कर्मचारी की ओर से भरे जाने वाले प्रॉविडेंट फंड की रकम बढ़ जाएगी।

रिटायरमेंट के लिए डाली जाने वाली रकम बढ़ने का मतलब है कि आपकी टेक-होम सैलरी कम हो जाएगी लेकिन आपका रिटायरमेंट फंड बढ़ेगा।

फिलहाल प्रॉविडेंट फंड मे कंपनी और वर्कर दोनों का योगदान सीटीसी का 12 प्रतिशत होता है।

टीमलीज सर्विसेस के कम्प्लेंस एंड पेरोल आउटसोर्सिंग में वाइस प्रेसीडेंट प्रशांत सिंह के मुताबिक, नए नियम के लागू होने से वर्कर की टेक होम सैलरी चार से 10 प्रतिशत के बीच कम हो जाएगी और पीएफ ग्रेच्युटी में उसका योगदान बढ जाएगा।

हालांकि पीएफ में वर्कर की हिस्सेदारी तभी बढ़ेगी, जब उसका पीएफ हर महीने 15 हज़ार से कम कटता हो।

वर्तमान में, अधिकतर प्राइवेट कंपनियां कुल सीटीसी के बड़े हिस्से में गैर-भत्ते वाला हिस्सा कम और भत्ते वाला हिस्सा ज्यादा रखने को वरीयता देती हैं।

हालांकि, नया नियम आ जाने के बाद से यह बदल जाएगा। संभावना है कि इन नियमों से प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की सैलरी प्रभावित होगी क्योंकि आमतौर पर उन्हें ज्यादा भत्ता मिलता है।

नए नियमों के मुताबिक, कंपनियों को 50 फीसदी बेसिक सैलरी की अनिवार्यता को पूरा करने के लिए उनकी बेसिक सैलरी को बढ़ाना होगा।

इस सुधार से ज़्यादातर वर्करों की टेक होम सैलरी कम हो सकती है। वेतन की नई परिभाषा 2019 में संसद में पास श्रम सुधार का एक हिस्सा है।

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