अब मोदी सरकार ऐतिहासिक नीलगिरी पर्वतीय रेलवे को बेचने की तैयारी में

nilgiri mountain railway

अभी तक प्लेटफॉर्म, रेलवे स्टेशन, प्रोडक्शन यूनिट, ट्रेन रूट और यहां तक कि पूरी ट्रेन भी मोदी सरकार बेच चुकी है। लेकिन अब नए कीर्तिमान रचते हुए सरकार रेल का एक हिस्सा — नीलगिरी माउंटेन रेलवेज को ही बेचने की फिराक में हैं।

याद रहे ‘दिल से’ फ़िल्म का प्रसिद्ध गाना — चल छैया छैया — इन्हीं सरकारी ट्रेन की छत पर बनी थीं, जो अब प्राइवेट हो रही है।

इंडियन रेलवे इम्पलाइज फेडरेशन (IREF) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ कमल उसरी ने कहा कि पैतालीस वर्षों में (1854-1899) मेट्टूपालयम (कोयम्बटूर) से कन्नूर और फ़िर 15 अक्टूबर 1908 में उद्गमण्डम (ऊटी) तक़ 250 से भी अधिक पुल हैं।

इनमें 32 बड़े पुल और 16 बड़ी सुरंगो के साथ बनी नीलगिरी पर्वतीय रेलवे को मोदी सरकार बेच रही है।

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इंडियन रेलवे इम्पलाइज फेडरेशन (IREF) सम्बद्ध AICCTU के केंद्रीय पदाधिकारियों ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जनता से रेलवे के निजीकरण, निगमीकरण व एनपीएस के खिलाफ जारी संघर्ष – नेशनल मूवमेंट टू सेव रेलवे (NMSR) का साथ देने का आह्वान किया।

इसके पहले भारत गौरव योजना के तहत देश की पहली प्राइवेट ट्रेन 14 जून को कोयंबटूर नार्थ, तमिलनाडु से साईं नगर शिर्डी, महाराष्ट्र तक चली थी। भारतीय रेल ने ट्रेन को दो साल की लीज पर प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर को दिया है।

इसमें कहा गया है कि भारत में 1991 में अपनाई गई उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों के तहत भारतीय रेलवे का निगमीकरण/निजीकरण करने के लिए डॉ. विवेक देवराय एवं सैम पित्रोदा जैसी अनेकों कमेटियों का गठन किया गया।

इन कमिटियों ने रेलवे को टुकड़ों के आधार पर प्राइवेटाइज करने की साजिश को अंजाम देते हुए रेलवे में जोरदार तरीके से ठेकेदारी, आउटसोर्सिंग, पीपीपी (PPP), एफडीआई (FDI) प्रथा को बढ़ावा दिया।

इसके तहत रेलवे के लगभग 400 स्टेशनों को प्राइवेट सेक्टर के हवाले कर दिया गया तथा अब उसे आगे बढ़ते हुए भारतीय रेलवे के मलाईदार रूटों को प्राइवेट सेक्टर के हवाले किया जा रहा है।

इसी बीच रेलवे के सात प्रोडक्शन यूनिटों – चितरंजन, वाराणसी, रायबरेली, कपूरथला, पटियाला, चेन्नई और बैंगलोर का “Indian Railway Rolling Stock Company” के नाम से निजी क्षेत्र में दे देने की योजना बनाई गई।

इस योजना में 23 महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन, 600 रेलवे स्टेशन के आसपास की जमीन लैंड डेवलपमेंट प्राधिकरण को देने की बात कही गई है।

पहले से ही चल रही बहुप्रतीक्षित रेलवे की डेडिकेटेड फ्रंट कॉरिडोर जिसमें लुधियाना से कोलकाता 1800 km, दादरी से JNPT 1500 km, खड़गपुर से विजयवाडा 1000 km, भुसावल से धानकुनी 1500 km, विजयवाडा से इटारसी 1500 km है, जिनमें 150 निजी ट्रेन और मालगाड़ी स्लॉट निजी परिचालन केलिए  उपलब्ध कराने की बात है।

राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन में 90 यात्री गाड़ियां, 400 रेलवे स्टेशन, 741 km कोंकण रेलवे, 15 रेलवे स्टेडियम, 265 गुड्स शेड, 4 हिल स्टेशन, 1400 km ओवहरहेड इक्विपमेंट इत्यादि पूंजीपतियों को देकर सरकार 1.52 लाख करोड़ रुपये इकट्ठा करेगी।

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