एसकेएम : पीएम किसान सम्मान निधि किसानों के साथ धोखा, सरकार जल्द एमएसपी@सी2+50% घोषित करे

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संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए केंद्र सरकार से पुरजोर मांग की है कि ‘2024 में होने वाले आम चुनाव से पहले कल 1 फरवरी 2024 को संसद में रखे जाने वाले वोट ऑन अकाउंट में किसानों की बड़े व्यापारियो, औद्योगिक कॉरपोरेट और उनके बिचौलियों द्वारा की जाने वाली बर्बर लूट को खत्म करने के लिए सभी फसलों के लिए एमएसपी@सी2+50% घोषित किया जाए.’

एसकेएम ने कहा कि ‘ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने बीजेपी के 2014 के चुनाव घोषणापत्र में सत्ता में आने पर एमएसपी@सी2+50% देने का वादा किया गया था और पिछले दस वर्षों के शासन में नरेंद्र मोदी के लिए किसानों को दी गई अपनी गारंटी को पूरा नहीं कर पाई है.’

उन्होंने बताया कि ‘बहुप्रचारित पीएम किसान सम्मान निधि वास्तव में किसानों को एमएसपी@सी2+50% के उनके उचित अधिकार से वंचित करने और धोखा देने के लिए है. वर्ष 2023-24 के लिए घोषित एमएसपी 2183 रूपये प्रति क्विंटल है, जो A-2+FL पर आधारित है. यानी किसान द्वारा लगाई गई लागत और परिवार के श्रम का मूल्य के आधार पर.’

एसकेएम ने बताया कि ‘डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग की वर्ष 2006 की सिफारिश के अनुसार, सी-2 का मतलब सकल लागत है, जिसमें A-2+एफएल लागत, स्वामित्व वाली भूमि का अनुमानित किराया मूल्य और निश्चित पूंजी पर ब्याज तथा पट्टे पर दी गई भूमि के लिए किया गया किराया भुगतान आदि शामिल है. वर्ष 2023-24 के अनुसार MSP@C2+50% राशि 2866.50 रुपये होती है. इस राशि की तुलना में A2+FL की राशि 683.50 रुपये प्रति क्विंटल कम है.’

‘यदि केंद्र सरकार एमएसपी@सी2+50% लागू करती है, तो धान की औसत उत्पादकता 25 क्विंटल प्रति एकड़ और खरीद के लिए मंडी प्रणाली की मौजूदगी को देखते हुए, पंजाब के किसान को 17075 रुपये प्रति एकड़ (25 गुणा 683.5 रुपये प्रति क्विंटल) का लाभ होगा. यह मानते हुए कि किसान प्रति वर्ष दो फसलें लेते हैं, यह लाभ 34150 रूपये प्रति एकड़ होगा. इस प्रकार, पीएम किसान सम्मान निधि से प्रति वर्ष 6000 रुपये प्राप्त करने के बाद, पंजाब के किसानों को प्रति एकड़ प्रति वर्ष 28150 रुपये का नुकसान होता है.’

पूर्वी उत्तर प्रदेश में जहां खरीद के लिए कोई मंडी प्रणाली मौजूद नहीं है, किसानों को धान के लिए केवल 1800 रुपये प्रति क्विंटल मिलते हैं.

यह एमएसपी@सी2+50% (= 2866.5 रूपये) से 1066 रुपये कम है. इस प्रकार सी-2 आधारित एमएसपी न मिलने के कारण उन्हें प्रति एकड़ औसतन 25 क्विंटल के उत्पादन पर 26650 रूपये का नुकसान और प्रति वर्ष दो फसलों पर हुआ घाटा 53300 रूपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष बैठता है.

पीएम किसान सम्मान निधि से प्रति वर्ष 6000 रुपये प्राप्त करने के बाद, पूर्वी यूपी के किसानों को प्रति वर्ष 47300 रूपये प्रति एकड़ का नुकसान हो रहा है. इसलिए किसान प्रधानमंत्री से किसी विशेषाधिकार की नहीं बल्कि एमएसपी@सी2+50% के अपने उचित अधिकार की मांग कर रहे हैं.

एसकेएम का कहना है कि ‘अगर मोदी सरकार इस लेखानुदान में सभी फसलों की खरीद के साथ एमएसपी@सी2+50% घोषित नहीं करती, तो देश के किसान भी लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट नहीं देने की घोषणा करेंगे.

एसकेएम मोदी सरकार को ऐतिहासिक किसान संघर्ष के साहसिक नारे ‘नो फार्मर, नो फूड’ (किसान नहीं, तो अन्न नहीं) की याद दिलाना चाहता है, जिसमें 736 किसान शहीद हो गए थे. प्रधानमंत्री को यह साबित करना होगा कि 9 दिसंबर 2021 के लिखित आश्वासन का सम्मान करते हुए गारंटी लागू की जनि चाहिए.

( एसकेएम द्वारा जारी प्रेस रिलीज के आधार पर )

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