संघर्ष के बीच क्यों भारतीय मज़दूरों को इजरायल भेजा जा रहा- अरुंधति रॉय

Indian workers israel

बुकर पुरस्कार विजेता ने गाजा में फंसे नागरिकों की मदद के लिए तत्काल और तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया; फिलिस्तीन के लिए भारतीय चाहते हैं कि सरकार संघर्ष पर अधिक स्पष्ट रुख अपनाए

प्रख्यात लेखिका और कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने कहा है कि इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के कारण फिलिस्तीनियों द्वारा नौकरियां छोड़ने से पैदा हुई रिक्तियों को भरने के लिए भारत के बेरोजगार गरीबों को इजरायल भेजा जा रहा है.

7 मार्च को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में फ़िलिस्तीनियों के दमन के खिलाफ आयोजित एक कार्यक्रम में सुश्री रॉय का एक संदेश पढ़ा गया. जहाँ आयोजकों ने कहा कि ‘इज़रायली हमलों में अब तक 30,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं और इन घटनाओं पर तत्काल रोक लगाई जाये. गाजा में फंसे नागरिकों को मदद की सख्त जरुरत है’.

रॉय के लिखित बयान को पढ़ते हुए कविता श्रीवास्तव ने कहा ‘ अभी तक अमेरिका अपने पास मौजूद हथियार और धन के बल पर इजरायल प्रायोजित जनसंहार को मज़बूत करता रहा है. अब फिलिस्तीनी मज़दूरों की जगह भरने के लिए भारत सरकार गरीब- बेरोजगार मज़दूरों को भेज इस दमन में कही न कही शामिल हो रही है’.

बुकर पुरस्कार विजेता रॉय की टिप्पणी लेबनानी सीमा के पास उत्तरी इज़राइल के मार्गालियट में एक टैंक रोधी रॉकेट हमले में केरल के एक भारतीय के मारे जाने के एक दिन बाद आई है,जिसके लिए इज़राइली दूतावास ने हिजबुल्लाह को जिम्मेदार ठहराया था. इसी घटना में दो अन्य भारतीय घायल हो गए थे.

मई 2023 में, भारत ने लगभग 42,000 श्रमिकों को भेजने के लिए इज़राइल के साथ एक समझौता किया था. 7 अक्टूबर को संघर्ष की शुरुआत के बाद से, विभिन्न इजरायली संस्थाएं भारत तक पहुंच रही हैं ताकि फिलिस्तीनी मज़दूरों द्वारा रिक्त किये स्थान को भारतीय मज़दूरों से भरा जाये .उन्हें डर है कि फिलिस्तीनियों को काम से हटाने के बाद उनके उत्पादन और निर्माण कार्य प्रभावित न हो.

मालूम हो पिछले कुछ महीनों में भारतीयों को नौकरी पर रखने के लिए हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भर्ती केंद्र खोले गए थे. हालांकि भारत सरकार ने इस पुरे मसले पर चुप्पी साध रखी है.

अक्टूबर 2023 से विदेश मंत्रालय के साथ-साथ तेल अवीव में इज़राइल के दूतावास ने भारतीयों के लिए इज़राइल में सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह जारी रखी है. मंगलवार को हुई घटना के बाद इसे और बढ़ाया गया, जिसमें इज़राइल के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में भारतीय कामगारों से सुरक्षित रहने की अपील की गई है.

कार्यक्रम के आयोजकों ने कहा कि ” भारत सरकार को भी फिलिस्तीन में आम लोगों के दमन के खिलाफ स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए. भारत को भी इजरायल की आलोचना करते हुए, उसे तुरंत फिलिस्तीनी जनता पर ढाये जा रहे जुल्म को बंद करने का आह्वान करना चाहिए और भारतीय मज़दूरों को इन विषम परिस्थिति में भेजने के फैसले पर रोक लगाना चाहिए”.

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