कोरोना टीकाकरण- जश्न मनाने जैसा मोदी सरकार ने क्या किया है?

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By धर्मेन्द्र आज़ाद

कोरोना टीकाकरण की उपलब्धि के नाम पर सरकारी खर्चे पर जश्न मनाया जा रहा है, भाजपाई व सरकारी तन्त्र भारत में 100 करोड़ कोरोना टीके लगाये जाने का ढिंढोरा पीट रहे हैं। ऐसा दिखावा किया जा रहा है जैसे हमारी सरकार त्वरित गति से बहुत सफलतापूर्वक टीकाकरण सम्पन्न कर दी हो।

अपनी जनता को भ्रमित करने की आदत से मजबूर सरकारी अमला भारत को 100 करोड़ टीके की डोज लगाने वाला दुनिया का पहला देश बताने पर तुला है, जबकि चीन ने यह उपलब्धि जून के महीने में ही हासिल कर ली थी।

ग़ौरतलब है कि 100 करोड़ से अधिक आबादी वाले दुनिया में केवल दो ही देश हैं—चीन व भारत, चीन 230 करोड़ टीकों (71% लोगों का पूर्ण टीकाकरण) के साथ काफ़ी आगे पहुँच गया है जबकि भारत में अभी मात्र क़रीब 20% लोगों का पूर्ण टीकाकरण हुआ है, 50%,को सिर्फ सिंगल डोज मिली है, इस तरह भारत 100 करोड़ से अधिक आवादी वाले देशों में अंतिम स्थान पर है।

अगर अन्य देशों से तुलना करें तो हमारी सरकार की विफलता और भी स्पष्ट नज़र आती है। अमेरिका में 56% आबादी पूरी तरह से टीकाकृत है, चीन में यह आंकड़ा 71% है और कनाडा में भी 71%, लेकिन भारत का संपूर्ण टीकाकरण सिर्फ 20% पर पहुँचा है।

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तो श्रीमान प्रचारजीवी! जश्न मनाने से पहले आँकड़ों की असलियत पर तो एक नज़र डाल लिये होते, शायद आपकी नज़रें ख़ुद ही शर्म से झुक जाती।

जनाब, हमारा देश तो दुनिया के औसत पूर्ण टीकाकरण (36%) से भी बहुत पीछे रह गया है, लेकिन आप जश्न तो ऐसे मना रहे हैं जैसे भारत में ही सबसे अधिक टीकाकरण हुआ हो, या फिर भारत का पूर्ण टीकाकरण करा दिया हो।

साहब! यह एक अरब डोज का जश्न केवल आँकड़ों की बाज़ीगरी के झूठ पर थिरकने के अलावा कुछ भी नहीं है। जब 139 करोड़ में से केवलल 29 करोड़ लोगों को ही दोनों टीके लगे हैं। तब सीधा सा गणित है कि अभी हमारे देश में क़रीब 20 प्रतिशत लोगों को ही संपूर्ण टीका लगाया जा सका है।

ऐसे में सिर्फ 20 प्रतिशत लोगों के टीकाकरण के लिए जश्न कैसा? क्या बाक़ी के 80% आबादी का अभी भी पूर्ण टीकाकरण न कर पाने की कोई शर्म बची है आपके अंदर?

अव्वल तो आपकी सरकार को जवाब देना चाहिये कि टीकाकरण इतनी धीमी गति से क्यों हो रहा है। कोरोना महामारी के दौरान अस्पताल, ऑक्सिजन, वेंटिलेटर, दवाओं की व्यवस्था तो आप कर नहीं पाये, कम से कम टीकाकरण ही तेज कर देते।

दुनिया के अन्य देशों का प्रदर्शन हमसे बहुत बेहतर है फिर भी किसी देश से ऐसी कोई खबर नही आयी कि वहां का मुखिया राजकोष के पैसे से सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए बड़े बड़े विज्ञापन छपवाकर आधे-अधूरे टीकाकरण पर जश्न मना रहा हो।

सरकार दावा कर रही है कि इस वर्ष के अंत तक देश की पूरी वयस्क आबादी, जो लगभग एक अरब है, को टीका लगा दिया जाएगा। पर अब तक वैक्सीन की औसतन 36 लाख डोज़ प्रतिदिन लगाई गयी है, और यदि इस वर्ष के अंत तक सबको वैक्सीन लगानी है तो 1.2 करोड़ टीके रोज लगाने पड़ेंगे, पर सरकार इस मामले में गंभीर नहीं दिख रही है।

कुल मिलाकर सरकार की गम्भीरता व संजीदगी पूरे कोरोना मामले पर आपराधिक स्तर की रही है उस पर भी यह उत्सव मनाना न केवल उन लोगों का अपमान है जो सरकारी असंवेदनशीलता की वजह से कोरोना के शिकार हुए बल्कि यह कोरोना से आने वाले दिनों के ख़तरों के प्रति सरकार की उदासीनता, ग़ैर ज़िम्मेदाराना रवैया भी दिखाता है।

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