भोपाल में हज़ारों मज़दूरों को मदद पहुंचाने वाले नागरिक समूह की कहानी

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By सचिन श्रीवास्तव

आज लॉकडाउन के तीसरे चरण का आखिरी दिन है और इस बीच लगभग भुला दिया गया है कि 21 मार्च के जनता कर्फ्यू के बाद से लगातार किस तरह देश में खाने का संकट गहराता जा रहा है। यह संकट न तो 20 लाख करोड़ के हवाई पैकेज से हल होने वाला है, और न ही सरकार की लॉकडाउन की बढ़ती तारीखों से।

दिलचस्प यह भी है कि सरकार अभी भी यह मानने को तैयार नहीं है कि जनता भूखी है और 1 महीने पहले दी गई 10 किलो अनाज गेहूं—चावल की मदद खत्म हुए चार से पांच सप्ताह बीत चुके हैं। आज सड़कों पर प्रवासी मजदूरों मुसीबतों की हृदयविदारक तस्वीरें हम सभी देख रहे हैं लेकिन इसके पहले पहले लॉकडाउन से ही भूख और इंसानों की जिंदगी के बीच जब सरकार लीपापोती में व्यस्त थी, तब सामुदायिक किचन और फूड ड्राइव के माध्यम से पूरे देश में सैकड़ों स्वयंसेवी समूह, सामाजिक संगठन, युवा समूह और अन्य ग्रुप अपने जरूरी काम को अंजाम दे रहे थे। मददगार हाथों की संवेदनशीलता की सभी तारीफ कर रहे हैं। की भी जानी चाहिए। इस काम को अंजाम देने वालों की सीरीज में आज हम बात कर रहे हैं भोपाल के जनसंपर्क समूह के बारे में।

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15 सामुदायिक किचन

यह समूह भोपाल में 15 सामुदायिक किचन चला रहा है। इसमें भोपाल के विभिन्न सामाजिक संगठनों, युवा समूह, संस्थाओं के सदस्यों समेत करीब 70 से अधिक सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, फोटोग्राफर, युवा, वकील, उद्यमी, कलाकार आदि जुड़े हुए हैं।

भोपाल में जनता कर्फ्यू के पहले दिन से ही सामुदायिक किचन के जरिये जरूरतमंदों के हाथों तक खाना पहुंचाने का काम कर रहे जनसंपर्क समूह ने बीते दो सप्ताह से विदिशा बाईपास रोड पर प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए मजदूर सहयोग केंद्र की शुरुआत की है।

इस केंद्र के जरिये बिहार, उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न राज्यों की ओर जा रहे श्रमिकों को खाना, मेडिकल सहायता के साथ आवागमन की जानकारी भी दी जाती है।

लॉकडाउन की शुरुआत से ही सक्रिय

भोपाल में इस समय करीब 130 से ज्यादा सामुदायिक किचन चल रहे हैं, लेकिन अगर शुरुआत की बात करें तो जनता कर्फ्यू के बाद पहला सामुदायिक किचन जनसंपर्क समूह ने ही शुरू किया। 21 मार्च को इस समूह के साथियों ने खाने के संकट को समझा और अपने काम को अंजाम देना शुरू किया।

असल में जनसंपर्क समूह में सेवा ओर सहयोग के साथ प्रशासनिक कामों पर नजर रखने का काम ​भी किया जाता है। प्रशासन को सुझाव देने से लेकर नाकामियों को उजागर करने में भी यह समूह सबसे आगे रहा है। लॉकडाउन के दौरान पहले विरोध प्रदर्शन को भी इसी समूह ने दर्ज किया। लोगों को राशन उपलब्ध कराने की नाकामी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को अंजाम देते हुए बहुत दिनों से परेशान होने और राशन की दुकान पर राशन न मिलने पर एडवा की सलमा के नेतृत्व में महिलाओं के द्वारा अशोका गार्डन थाने पर प्रदर्शन भी किया गया।

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समूह के लोगों का कहना है कि खाने का संकट लंबे समय के लिए जकड़ चुका है अब आगे हम मजदूरों के मजदूर सहयोग केंद्र के जरिये पहुंचेंगे और उनकी विभिन्न समस्याओं को सामुदायिक तरीके से हल करने की कोशिश करेंगे। समूह की ओर से इस समय भोपाल में 15 किचन चलाए जा रहे हैं। इनके जरिये करीब 10 से 12 हजार लोगों को हर रोज खाना उपलब्ध कराया जा रहा है।

जम जम किचन: यह जनसंपर्क समूह का सबसे पुराना और बड़ा किचन है। फिलहाल यह किचन यासिर अंसारी, नदीम खान और रोमी भाई संचालित कर रहे हैं। यहां से ​अभी प्रतिदिन 1800 पैकेट भोपाल के बाग दिलकुशा, अशोका गार्डन, ऐशबाग, जनता क्वार्टर, जहांगीराबाद, बाणगंगा आदि इलाकों में बांटे जाते हैं। रमजान के महीने के शुरू होने के पहले तक यहां से 3500 से 3600 पैकेट रोजाना वितरित किए जा रहे थे। रोजेदार इस काम को अंजाम दे रहे हैं।

एडवा किचन: इस सेंटर के किचन से खाना, फूड पैकेट, सूखा राशन, मास्क और बच्चों को दूध व ब्रेड का वितरण किया जा रहा है। एडवा की ओर से सुभाष फाटक के नजदीक राज्य केंद्र के अलावा सुदामा नगर, पुराना नगर, जगन्नाथ कालोनी और दानिश कुंज में किचन संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा बाणगंगा और दामाखेड़ा के किचन में एडवा के कार्यकर्ताओं का सक्रिय सहयोग रहता है। इन किचन से करीब 600 फूड पैकेट रोजाना बांटे गए हैं। अरुणा, संध्या शैली, साजिदा, नूरी, मानसी, कमला जी आदि इन किचन में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। इन किचन के साथियों की ओर से 70 परिवारों को राशन की मदद भी दी गई है। इसके अलावा राशन और सब्जी का नियमित वितरण किया जा रहा है।

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काजी कैंप किचिन: युवारंभ और छायाकार संघ की ओर से चलाए जा रहे इस किचिन से प्रतिदिन करीब 1000 तक फूड पैकेट वितरित किए जाते हैं। यहां खाने का मैन्यू हर रोज बदलता है। इसके अलावा 300 सूखे राशन के पैकेट भी वितरित किए जा रहे हैं। इस किचिन में कॉआर्डिनेशन का काम सैफ खान और डॉक्टर यासिर खान करते हैं।

नूर महल किचिन: शाहीन मिर्जा उर्फ गुड्डो बाजी का किचिन जनसंपर्क समूह के सबसे पुराने किचिन में से एक है। यहां से हर रोज 200 फूड पैकेट शहर के विभिन्न इलाकों में जाते हैं। यहां भी मैन्यू रोज बदलता रहता है। करीब 100 पैकेट सूखे राशन किट भी यहां से बांटे गए हैं।

बच्चा रसोई: ऐशबाग की चार मीनार मस्जिद के करीब चलने वाली बच्चा रसोई से प्रतिदिन 50 बच्चों को दूध और बिस्कुट दिया जाता है, जबकि 70 के करीब बच्चों को खाना वितरित किया जाता है। यहां का किचिन और मिल्क डिस्ट्रीब्यूशन के काम को निगहत, अमरीन, शाहिद, उजैर, आफरीन, फरहा, साहिबा, औरंगजेब, मदीहा, सना फरहीन, सिमरन आदि युवा देखते हैं।

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बीजीवीएस के 5 किचिन: भारत ज्ञान विज्ञान समिति की मध्य प्रदेश इकाई की ओर से 5 किचिन संचालित किए जा रहे हैं। ये किचिन बाबा नगर, बीमा कुंज कोलार, दामखेड़ा कोलार, बाणगंगा और छोला में संचालित किए जा रहे हैं। आशा मिश्रा, प्रमोद और पवन इन किचिन की रीढ़ हैं। इसके अलावा कई अन्य साथी इन किचिन से जुड़े हुए हैं। यह भी जनसंपर्क समूह का हिस्सा हैं। इन पांचों किचिन से कुल 1475 फूड पैकेट्स वितरित किए जाते हैं। इसके अलावा करीब 300 पैकेट का सहयोग हर रोज गुरुद्वारा से लिया जाता है। इस तरह इन पांच किचिन से कुल 1775 खाने के पैकेट वितरित किए जाते हैं। इसके अलावा 107 बच्चों को दूध, बिस्कुट, चना, मूंगफली भी कोलार क्षेत्र में वितरित किया जाता है। यह अल्टरनेट दिया जाता है यानी एक दिन छोड़कर। इसमें से दूध—बिस्कुट पहले दिन के लिए होता है और चना—मूंगफली इस हिदायत के साथ दिया जाता है कि इसे पानी में भिगो देना और जब स्प्राउट्स बन जाएं तो कल खाना। बीजीवीएस की ओर से 610 राशन किट भी वितरित किए गए हैं। इनमें से ज्यादातर प्रवासी मजदूरों, छात्रों को बांटे गए हैं।

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अन्नपूर्णा और मोती मस्जिद किचिन: अर्शी और जमा की ओर से संचालित किए जा रहे इन किचिन से हर रोज 250 फूड पैकेट बांटे जाते हैं। यह टीम पहले और 220 पैकेट अन्य किचिन के सहयोग से इकट्ठा कर बांटती थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से ऐसा नहीं हो पा रहा है।

कोह ए फिजा किचिन: नाज अजहर और सना अजहर की ओर से चलाए जा रहे इस किचिन से करीब 150 पैकेट प्रतिदिन बांटे जाते हैं। इसके अलावा जो भी मांग आती है, उसके मुताबिक राशन पैकेट बांटे जाते हैं। यहां से अभी तक 200 के करीब राशन किट बांटी जा चुकी हैं। इस किचिन से खानू गांव, लाल घाटी, साजिदा नगर, करौंद, ईंटखेड़ी, घासीपुरा आदि इलाके में खाना वितरित किया जाता है। हर रोज यहां नए मैन्यू के आधार पर खाना तैयार होता है। इसके अलावा यहां से सैनेट्री पेड भी मांग के आधार पर दिए जा रहे हैं। एक स्वयं सेवी संस्था मानसा के सहयोग से सैनेट्री पेड दिए जा रहे हैं।

रोहित नगर सेंटर: रोहित नगर में जनसंपर्क समूह का मुख्य राशन डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर है। यहां से करीब 200 परिवारों को सूखा राशन दिया जाता है। ​इस किट में चावल, दाल, आलू, तेल, आटा समेत कुछ मसाले और साबुन, चाय पत्ती आदि होती है। इसके अलावा रोहित नगर डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर से जनसंपर्क समूह की कुछ किचिन को भी राशन पहुंचाया जाता है। यहां से निर्माण मजदूरों, बंजारा परिवारों और अन्य दिहाड़भ् मजदूरों के परिवार को भी सूखा राशन पहुंचाया जाता है। यहां समूह की साथी रश्मि जैन निजी तौर पर स्वास्थ्य कर्मियों और अकेले रह रहे वरिष्ठ नागरिकों को खाना पहुंचाती हैं।

मानव सेवा समिति किचन: इमामी गेट के इस किचन से हर रोज 300 पैकेट वितरित किए जाते हैं। इसी समिति के दूसरे इब्राहिम पुरा किचन से 350 पैकेट रोजाना बांटे जाते हैं। इन किचन को मोहम्मद सुलेमान, तारिक अरब और साहिब इस्माइल संचालित करते हैं।

जनता नगर के किचन: जनता नगर फेज 1 का किचन सईद खान और आदिल रज़ा संचालित करते हैं। यहां से प्रतिदिन 600 पैकेट खाने के जाते हैं। इसी तरह जनता नगर फेज 2 किचन को एज़ाज़ खान की ओर से संचालित इस किचिन से प्रतिदिन करीब 300 पैकेट वितरित किए जाते हैं।

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