मारुति के एक प्रवासी मज़दूर ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, आर्थिक तंगी बताया जा रहा कारण

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हरियाणा के मानेसर स्थित मारुति प्लांट में ठेका पर सालों से काम कर रहे एक मज़दूर ने शनिवार की शाम को करीब 6 बजे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

मृतक मज़दूर का नाम अजय प्रताप सिंह बताया जा रहा है। एक मज़दूर ने बताया कि वे लॉकडाउन के कारण वो आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे।

अजय प्रताप मानेसर स्थित बांस गांव में अपने घर पर मृत मिले हैं। वो मारुति के बम्पर शॉप में कार्यरत थे।

उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के बाद जब कंपनियां खुली हैं, उनमें लगातार छंटनी चल रही है। एक तरफ़ कुछ कंपनियों में मज़दूरों की कमी है तो दूसरी तरफ़ बड़े पैमाने पर उत्पादन करने वाली कंपनियों में छंटनी, ले ऑफ़ का दौर चल रहा है।

मज़दूरों से मिली जानकारी के अनुसार, अजय प्रताप उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। कई सालों से वे मानेसर के बांस गांव में किराए का कमरा लेकर रह रहे थे।

अजय के साथ रहने वाले साथियों ने उनके परिवार को सूचित कर दिया है।

शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। अजय प्रताप ने अत्महत्या क्यों की इस बात की पुख्ता तौर पर कोई जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है।

हरियाणा में अत्महत्या की घटनाएं बढ़ीं

पुलिस मामले की छानबीन करने में जुट गई है और पता लगा रही है कि अजय प्रताप ने आत्महत्या क्यों की।

मज़दूरों की आत्महत्या की घटनाएं सुर्खियां बनी हुई हैं। अभी दो दिन पहले हरियाणा के उद्योग विहार, फ़ेज़-टू में स्थित एक कंपनी में ही एक मज़दूर ने आत्महत्या कर ली थी।

इसके पहले गुड़गांव के सेक्टर 53 में भी एक मज़दूर मुकेश ने 18 अप्रैल को आत्महत्या कर ली थी।

आए दिन मज़दूर आत्महत्या को गले लगा रहे हैं। लेकिन मोदी सरकार मज़दूरो को दर किनार कर के चुनावी तैयारियों में व्यस्त है।

अचानक लॉकडाउन की घोषणा के कारण मज़दूरों के हाथ से रोज़ी रोटी छीन गई, कई राज्य सरकारों ने श्रम कानून को खत्म कर दिया।

जिससे कंपनी मालिक मज़दूरों का आसानी से शोषण कर रहे हैं।

शोधार्थियों के एक समूह द्वारा एकत्र किए गए डाटा के अनुसार, भारत में 19 मार्च से 2 मई के बीच 80 लोगों ने आत्महत्या को गले लगाया है और 36 लोगों की मौत आर्थिक तंगी, भुखमरी से हुई है।

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