बिहार: चौसा पावर प्लांट के मज़दूर गए हड़ताल पर,कहा मांगे नहीं मानी गई तो नहीं लौटेंगे काम पर

chausa power plant

बिहार के बक्सर जिले में निर्माणाधीन 1320 मेगावाट पावर प्लांट के निर्माण कार्य में लगे मज़दूरों ने हड़ताल कर दिया है. 21 सितम्बर की सुबह से सभी यूनिट में लगे मज़दूरों ने कार्य बहिष्कार कर दिया,जिसके बाद कंपनी के अधिकारियों में हड़कंप मच गया.जिसके बाद कंपनी के आला अधिकारियों से लेकर पुलिस प्रशासन ने मज़दूरों को समझाने का भरसक प्रयास किया,लेकिन मज़दूर अपनी मांग पर अड़े रहे.

प्लांट के निर्माण कार्य में लगे मजदूर 21 सितंबर से अनिश्चीतकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. शनिवार को तीसरे दिन भी प्लांट परिसर में मजदूर अपने मांग को लेकर डंटे रहे. मालूम हो की फरवरी में पावर प्लांट का निर्माण कार्य पूरा कर ट्रायल शुरू करना है. इससे पहले साल 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पावर प्लांट की आधारशिला रखी थी.

इस साल के अंत तक थर्मल पावर प्लांट को तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है. जनवरी-फरवरी में ट्रायल पूरा होने के बाद उत्पादन शुरू किया जाना है. प्लांट से बिहार को 85 फीसदी बिजली मिलनी है. हालांकि, मजदूरों के हड़ताल से निर्माण कार्य प्रभावित है, जिससे उत्पादन में देरी हो सकती है.

मिली जानकारी के अनुसार चौसा अखौरीपुर लेबर कॉलोनी और सरेंजा गांव के पास बने मज़दूर बस्तियों के 3000 मज़दूरों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल कर दिया. मज़दूरों ने बताया की “जब तक हमारी मांगों को मान नहीं लिया जाता है,हम काम पर नहीं लौटेंगे.बार-बार केवल आश्वासन दिया जाता है और कंपनी के अधिकारी हमसे किये वादें पुरे नहीं करते हैं.”

मजदूरों की मांग है कि बोर्ड रेट के अनुसार 477 रुपए प्रतिदिन मजदूरी मिलनी चाहिए. इसके साथ ही 8 घंटे की ड्यूटी सुनिश्चित की जाए.

L&T के अंतर्गत पावर मैक में काम कर रहे रोहतास जिले के मो. इब्राहिम ने बताया की ” हमारी मुख्य मांग यह है की हमारी मज़दूरी का भुगतान पेमेंट बोर्ड रेट के अनुसार हो और आने-जाने का पर्याप्त साधन मिले”.

कंपनी ने 1000 मज़दूरों पर दी है मात्र 2 बसें

हड़ताल पर बैठे मज़दूरों ने बताया की कंपनी के द्वारा एक हज़ार मज़दूरों पर मात्र दो बसें दी गई हैं.काम पर जाते समय बस के इंतज़ार में डेढ़ से दो घंटे लाइन में खड़े रहना पड़ता है.आते समय भी वही हाल है.12 घंटे काम लेने के बाद भी समय पर मज़दूरी नहीं दी जाती.

मज़दूरों ने कहा की ” हम 8 घंटे से अधिक काम नहीं करेंगे और पेमेंट बोर्ड रेट के हिसाब से ही चाहिए ,नहीं तो हम काम पर नहीं लौटेंगे.’

उधर देश की दूसरी बड़ी बिजली उत्पादन परियोजना का लगभग 80% कार्य ठप है. इससे कंपनी के अधिकारियों में बेचैनी बढ़ गई है. इस संबंध में दैनिक भास्कर रिपोर्टर कंपनी ने अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन ऑन कैमरा या ऑफ कैमरा कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं.

बताते चलें की 21 सितंबर से अचानक थर्मल पावर के मजदूर अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए. शनिवार की सुबह से मजदूर वर्कर्स कॉलोनी में ही प्रदर्शन शुरू कर दिए. प्रदर्शनकारी मजदूरों का कहना है कि कंपनी के अधिकारी जब तक लिखित आश्वासन नहीं देते हैं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

इंटक के जिला अध्यक्ष गौरव राय ने बताया कि “मजदूरों का निबंधन नहीं किया गया है. निबंधन हो गया होता तो उन्हें बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे, पेंशन, बोर्ड रेट के अनुसार मजदूरी और 8 घंटे की ड्यूटी करनी होती, लेकिन उन्हें कोई मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही है.”

गौरव ने बताया कि पावर प्लांट के मजदूरों ने शिकायत भी की है, लेकिन कोई समाधान नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 12 घंटे की ड्यूटी करने के बाद 8 घंटे का पेमेंट दिया जाता है.

टाइम पर पेमेंट की मांग

मजदूर मंटू सिंह ने बताया कि “जब तक हम लोगों को एलएनटी कंपनी और ठेकेदार की ओर से लिखित आश्वासन नहीं मिलता है, तब तक काम पर नहीं लौटेंगे. उन्होंने कहा कि मजदूरों के शोषण करने में एलएनटी, पावर मैक, गोल्डन एज, रेडिक्स कंपनी और ठेकेदार शामिल हैं. इनके द्वारा बोर्ड रेट और टाइम से पेमेंट नहीं किया जाता है.

660-660 मेगावॉट की बन रही 2 यूनिट

बता दें कि चौसा थर्मल पावर प्लांट से 1320 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा. इसको लेकर 660-660 मेगावॉट के दो यूनिट बनाई जा रही है. खास बात यह है कि यहां कोयला और पानी से बिजली उत्पादन किया जाएगा.

सतलज जल विद्युत निगम के अधिकारियों के मुताबिक, चौसा पावर प्लांट 1283 एकड़ जमीन पर बनाई जा रहा है, जिसका निर्माण कार्य लगभग 80 फीसदी पूरा हो चुका है. नए वित्तीय वर्ष से बिहार को प्लांट से उत्पादित बिजली का 85 % उपलब्ध कराया जाएगा.

(द जनमित्र की खबर से साभार)

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