सिर्फ चार महीने में 60 लाख पेशेवरों ने गंवा दीं नौकरी, केंद्र से लेकर राज्यों तक सरकारी नौकरियों का सूखा

सरकारी नौकरियों की उम्मीद लगाए बैठे बेरोजगार युवाओं के ख्वाब कारपोरेट परस्त अर्थव्यवस्था की भेंट चढ़ चुके हैं, बचे खुचे भी दांव लगने वाले हैं। लॉकडाउन के सिर्फ चार महीनों में 60 लाख पेशेवरों की नौकरी हाथ से निकल गई। खाली होते पद भरे नहीं जा रहे और भर्ती की रफ्तार कछुआ चाल चल रही है। ताजा हालात ये हैं कि केंद्र से लेकर राज्यों तक सरकारी नौकरी का सूख पड़ गया है।

तीन साल में सबसे बड़ी गिरावट का आलम ये है कि केंद्र सरकार पर लगभग 50 प्रतिशत और राज्य सरका की नौकरियों के लिए 60 प्रतिशत पदों पर ही सेवाएं ली जा रही हैं। आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले चार महीनों में मिंट की समीक्षा का ये निष्कर्ष है।

समीक्षा के मुताबिक, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) का पेरोल डेटा बता रहा है कि वित्त वर्ष 21 में अब तक नौकरियों में सबसे बड़ी गिरावट न केवल निजी क्षेत्र हैं, बल्कि सरकार भर्ती में कटौती कर रही है। अर्थव्यवस्था की गंभीर हालत होने पर सरकार ने केंद्रीय विभागों और मंत्रालयों को हाल फिलहाल नई भर्ती न करने के निर्देश दिए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 2020-21 में अब तक औसतन 26,144 नौकरियां प्रति माह दी हैं। आंकड़ों के मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2018-19 में, 542,504 नौकरियां दी गईं यानी प्रति माह 45,208 से थोड़ा अधिक। आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में, राज्यों ने 496,003 पदों यानी प्रति माह 41,333 दीं।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी का कहना है कि लगभग 60 लाख पेशेवर, जैसे कि इंजीनियर, चिकित्सक, शिक्षक, एकाउंटेंट और विश्लेषक, मई और अगस्त के बीच अपनी नौकरी खो चुके हैं। इंडियन पब्लिक सर्विस एम्पलाइज फेडरेशन के महासचिव प्रेमचंद ने कहा, सरकारी नौकरियों में और गिरावट आने वाली है। सरकारी कर्मचारियों के लिए नई भर्ती बहुत धीमी है। कर्मचारियों के सुपरनेशन के बाद रिप्लेसमेंट हायरिंग ठीक तरीके से नहीं हो रही।

चंद ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सरकारी विभाग या तो पदों को कम कर रहे हैं या संविदा कर्मियों से भरे जा रहे हैं। उन्होंने कहा, केंद्रीय सचिवालय स्तर पर, संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव सहायता स्टाफ की नौकरियों में बहुत कम वेतन वाले अनुबंधित कर्मचारियों को आसानी से देख सकते हैं।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग, दूरसंचार, अध्यादेश कारखानों और रेलवे जैसे विभागों के साथ-साथ सचिवीय सहायता सेवा नौकरियों में सरकारी नियमित पोस्टिंग में काफी कमी देखी जा रही है।

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