अब कहां से आ गए खोरी गांव वालों के लिए 1400 फ्लैट? खट्टर ने पहले क्यों नहीं किया इंतज़ाम?

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हरियाणा के फरीदाबाद में दिल्ली से सटे खोरी गांव में हज़ारों घर ढहाने के ख़िलाफ़ 30 जून को हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद खट्टर सरकार ने कहा कि राज्य सरकार 1400 परिवारों को दूसरी जगह घर देने के लिए तैयार है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर के अनुसार, सीएम खट्टर ने चंडीगढ़ में एक प्रेस वार्ता बुलाकर कहा, “खोरी गांव को लेकर एक सर्वे किया गया था जिसमें पाया गया कि यहां हरियाणा के 3400 वोटर हैं, जो कुल 1400 परिवारों के हैं। हमारे पास फ्लैट तैयार हैं और उसके दाम भी तय कर दिए गए हैं। ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि उन्हें आसानी से लोन मिल सके।”

उन्होंने कहा कि इन 1400 परिवारों के लिए हमने व्यवस्था की है। गांव में जो अन्य परिवार हैं वो दिल्ली के वोटर हैं। जबकि कुछ कहीं के वोटर नहीं है, वे बाद में आए हैं।

खट्टर ने कहा कि फ़रीदाबाद के दाबुआ कॉलोनी में खाली फ्लैटों को लेकर 1400 परिवारों के पुनर्वास के लिए विचार किया जा रहा है।

हालांकि गांव के निवासियों का कहना है कि इतने से काम नहीं चलने वाला है। निवासी घनश्याम कहते हैं “हममें से कईयों को इस सर्वे में छोड़ दिया गया है। जिनके पास पहचान पत्र नहीं है या दिल्ली का है, वे कहां जाएंगे।”

फरीदाबाद नगर निगम के सर्वे के अनुसार कुल 5,158 घरों को तोड़ने की योजना है। उल्लेखनीय है कि अरावली वन क्षेत्र में पड़ने वाले इस इलाके में लोग क़रीब दो दशकों से रह रहे हैं

उधर 30 जून को महापंचायत करने पहुंचे किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि अधिकांश मज़दूर आबादी वाली इस बस्ती के लोग कर्ज लेने की स्थिति में होते तो यहां क्यों रह रहे होते। उन्होेंने 7 जुलाई तक खट्टर सरकार से इस मामले का समुचित समाधान निकालने की चेतावनी दी है, नहीं तो फिर से पंचायत करने की बात कही है।

पंचायत से पहले गिरफ़्तार होने वालों में से एक, इंकलाबी मज़दूर केंद्र के फरीदाबाद अध्यक्ष संजय मौर्या ने कहा कि “अभी तक खट्टर सरकार सीधे लोगों को घरों को खाली कराने पर अमादा थी। बीते 15 दिनों से वहां भारी पुलिस फोर्स तैनात है। बिजली पानी काट दिया गया है। तब खट्टर सरकार या राज्य प्रशासन ने इन 1400 फ्लैटों के बारे में कोई भी बात नहीं की। अब ये फ्लैट कहां से निकल आए? पहले ही कोई इंतज़ाम क्यों नहीं किया गया।”

बंधुआ मुक्ति मोर्चा के महासचिव निर्मल गोराना ने कहा कि “सरकार की जिम्मेदारी है कि वो उन लोगों के पुनर्वास का इंतज़ाम करे जिन्हें उजाड़ा जा रहा है। ये ग़रीब और मज़दूर लोग हैं जो रोज़ाना कमाते हैं और खाते हैं। इनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि कहीं जाकर घर ले सकें या किराए पर रह सकें।”

सर्वे पर भी सवाल खड़ा किया जा रहा है। यहां के निवासियों का कहना है कि खोरी गांव में 10 हज़ार से अधिक घर हैं और कुल आबादी एक लाख से ऊपर है। ज़ाहिर है कि बहुत सारे परिवारों को इस सर्वे में शामिल नहीं किया गया है।

गोराना कहते हैं कि इन सभी को पुनर्वास नीति के तहत दूसरी जगह घर दिलाना सरकार की ज़िम्मेदारी है और वो इससे पीछे नहीं हट सकती।

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