केरल में प्रवासी मजदूरों को फ्री वैक्सीन देने के लिए स्पेशल ड्राईव

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केरल सरकार पूरे राज्य में कोविड वैक्सीन के टीकाकरण अभियान को युद्ध स्तर पर करने का फैसला लिया है और प्रवासी मज़दूरों के मुफ़्त टीकाकरण का ऐलान किया है। यही नहीं प्रवासी मज़दूरों को

केरल ऐसा पहला राज्य है जिसने कोरोना महामारी में अपनी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को ध्वस्त होने से न केवल बचाया है बल्कि पड़ोसी राज्यों को भी ऑक्सीजन और मेडिकल सुविधाओं की मदद कर रहा है।

राज्य के श्रम विभाग ने कहा है कि राज्य की बाकी आबादी की तरह ही प्रवासी मजदूरों को भी फ्री में वैक्सीन दी जाएगी।

द हिंदू अख़बार की ख़बर के मुताबिक राज्य में काम करने वाले ज्यादातर प्रवासी मजूदर 18 से 45 साल की उम्र के हैं, जिनके वैक्सिनेषन का काम एक मई से शुरू हो गया है।

प्रवासी मजदूरों के कोविड पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन में मदद के लिए 101 सहायक श्रमायुक्तों को तैनात किया गया है।

केलर के श्रमायुक्त एस चित्रा के मुताबिक, ‘हम प्रवासी मजदूरों के वैक्सिनेशन के लिए स्पेशल सेंटर्स की योजना बना रहे हैं।’

उन्होंने कहा कि यह वैक्सीन की उपलब्धता और उन केंद्रों की प्रैक्टिकल क्षमता पर निर्भर करेगा। अगर ऐसा संभव नहीं होगा तो प्रवासी मजदूरों को बाकी लोगों के साथ ही वैक्सीन दी जाएगी।

प्रवासी मजदूरों को फ्री टीकाकरण की जानकारी उनके सोशल मीडिया समूहों और उनके लिए तैयार स्पेशल काॅल सेंटरों पर चार अलग-अलग भाषाओं, असमिया, ओडिया, बंगाली और हिंदी में दी जा रही है।

चित्रा के मुताबिक, ‘श्रम विभाग ने महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए एक एक्शन प्लान तैयार किया है, जिसे अप्रूवल के लिए जल्दी ही सरकार के पास भेजा जाएगा।’

‘इस प्लान में किसी दुर्घटना की स्थिति में प्रवासियों की देखरेख का खाका तैयार किया गया है।’

श्रम विभाग पिछले साल ऑकडाउन में पलायन के बाद फिर से प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा अपडेट कर रहा है।

इसके लिए सहायक श्रमायुक्त और जिला श्रमायुक्त लाइसेंसधारी ठेकेदारों से आंकड़े जुटा रहे हैं।

इसके अलावा वे उन जगहों पर जाकर भी आंकड़े जुटा रहे हैं, जहां बड़ी तादाद में प्रवासी मजदूर रहते हैं। प्रवासी मजदूरों का जिलेवार आंकड़ा इस महीने के अंत तक तैयार होने की उम्मीद है।

गौरतलब है कि जबसे कोरोना महामारी की दूसरी सबसे बड़ी राष्टव्यापी लहर शुरू हुई है और बड़े पैमाने पर लोगों की जानें जा रही हैं, प्रवासी मज़दूरों की सामाजिक सुरक्षा, उनका स्वास्थ्य और आजीविका को सुनिश्चित करने की मांग तेज़ हुई है, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक ऐसी कोई घोषणा नहीं की है।

इस संबंध में कर्नाटक हाईकोर्ट में भी एक्टू ने एक याचिका दायर कर सरकार को मज़दूरों से संबंधित कल्याणकारी कार्यक्रम शुरू करने के निर्देश देने की मांग की गई है।

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