किसानों के विरोध प्रदर्शन के बाद मज़दूरों ने भी शुरू किया आंदोलन

landless workers protest

दिल्ली कूच की अपनी कोशिशों के बीच पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसान संगठनों का कहना है कि ‘2021-22 में किसानों के साथ किये अपने वायदे को केंद्र की सरकार ने अब तक पूरा नही किया है. जब तक हमारी मांगें नही मानी जायेगी ,हम वापस लौटने वाले नही हैं’.

इसी बीच पंजाब के भूमिहीन मज़दूरों ने भी अपना आंदोलन शुरू कर दिया है. भूमिहीन मज़दूरों के संगठनों ने ‘ मज़दूर पैदल जोड़ो यात्रा’ शुरू की है. इस यात्रा में मज़दूर पैदल या साइकिल पर सवार हो एक गांव से दूसरे गांव जा कर जागरूकता अभियान चला रहे और अपने आंदोलन के लिए समर्थन जुटा रहे हैं.

पंजाब में ज्यादातर भूमिहीन किसान और दिहाड़ी मजदूर दलित समुदाय से आते हैं. इस आंदोलन के लिए पेंडू मज़दूर यूनियन,पंजाब और ज़मीन प्राप्ति संघर्ष समिति आदि जैसे यूनियन एक साथ आकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

भूमिहीन किसानों और मज़दूरों की मांग है कि ‘ भूमि स्वामित्व अधिकार, मकान के लिए भूमि ,कर्ज माफ़ी, उचित मज़दूरी के साथ जातिगत भेदभाव को समाप्त किया जाए’.

मज़दूरों की यह यात्रा फिलहाल जालंधर,होशियारपुर और मोगा जिले में चल रही है. यात्रा को नेतृत्व दे रही यूनियनों ने 11 मार्च को राज्यव्यापी ‘रेल रोको’ की घोषणा की है.

पेंडू मज़दूर यूनियन के सचिव कश्मीर सिंह घोषोर ने बताया ‘ भूमिहीन और दलित मज़दूर के साथ-साथ अन्य वंचित वर्ग के लोग पैदल ही इस विरोध यात्रा में शामिल हो रहे हैं लोग अपनी आवाज़ उठा रहे हैं. हमारी कई ऐसी मांगें है जिन पर लगातार सरकार द्वारा ध्यान नही दिया जा रहा है’.

अपनी मांगों की जानकारी देते हुए घोषोर ने बताया कि’ हमारी सबसे बड़ी मांग भूमि अधिकार और घर का मालिकाना हक है. पंजाब भूमि सीमा अधिनियम के अनुसार एक परिवार 17.5 एकड़ से अधिक कृषि भूमि का मालिक नही हो सकता. इस प्रकार भूमिहीनों के बीच वितरण के लिए अतिरिक्त भूमि सरकार को देनी होगी.पंजाब सरकार की ‘ मेरा घर,मेरा नाम’ योजना के तहत यह वादा किया गया था कि गांवों की ‘लाल डोरा’ सीमा के भीतर क्लस्टर बस्तियों में रहने वाले सभी एससी परिवारों को उनके घरों का स्वामित्व दिया जाएगा,लेकिन आजतक रजिस्ट्रियां नही की गई. सिर्फ अमीरों को ही नहीं बल्कि हमारे जैसे गरीबों को भी जमीन और घर पर समान अधिकार है’.

इसके साथ ही मज़दूरों बाकी मांगों में 1957 में अखिल भारतीय श्रम सम्मलेन में लिए गए निर्णय के अनुसार उनके डेली वेतन में न्यूनतम 1000 रुपये की बढ़ोतरी ,रविवार को साप्ताहिक छुट्टी का अधिकार, सरकारी-सहकारी सहित सभी लोन माफी. इसके अलावा निजी संस्थान और एक तिहाई पंचायत भूमि पर अधिकार की भी मांग की गई है’.

(जनसत्ता की खबर से साभार)

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