राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए मनरेगा का फण्ड रोक रही केंद्र सरकार: ममता बनर्जी

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हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा मनरेगा का बकाया नहीं चुकाने के कारण केंद्र सरकार की आलोचना की गई थी. ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाए थे कि ” केंद्र सरकार राज्यों का मनरेगा फंड जान बूझकर रोक रही है ताकि लोगों को भ्रमित किया जा सके. 16 नवम्बर की समयसीमा खत्म होने के बाद भी सरकार हमारे हिस्से की धनराशि हमे नहीं दे रही है”.

जिसके बाद केंद्र सरकार ने आरोपों पर कहा था कि ‘ निर्देशों का पालन न करने के कारण मनरेगा के फण्ड को रोका गया है’.
हालांकि नई जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल राज्य सरकार की ओर से गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) समेत 22 जिलों को 100 दिनों रोजगार योजना के तहत बकाया राशि के भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
जानकारी के अनुसार, 2,650 करोड़ रुपये से कुछ अधिक बकाया है. इनमें जीटीए का 129 करोड़ 42 लाख 89 हजार 728 रुपया बकाया है.

इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से निर्देशिका जारी कर बताया गया है कि 26 फरवरी यानी आज से मनरेगा मज़दूरों के बैंक खातों में बकाया राशि डाली जायेगी. इस प्रक्रिया को मार्च की पहली तारीख तक पूरा करने का निर्देश दिया गया है.

राज्य सरकार श्रमिकों को बकाया राशि का करेगी भुगतान

इस संबंध में जीटीए के प्रवक्ता एसपी शर्मा का कहना है कि ‘केंद्र सरकार ने केवल अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए राज्य को कठघरे में खड़ा किया है. लेकिन केंद्र को यह समझ नहीं आया कि वह राज्य सरकार के साथ-साथ मनरेगा मज़दूरों को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है. हमें उम्मीद है कि पहाड़ी लोग समझ जायेंगे कि उनका भला कौन चाहता है’.
उन्होंने कहा कि’ राज्य के इस फैसले का असर आगामी लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा. गौरतलब है कि हाल में ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की थी कि मनरेगा का पैसा अगर केंद्र सरकार नहीं देती है, तो राज्य सरकार मज़दूरों को उनकी बकाया राशि का भुगतान करेगी’.

मनरेगा के बकाया फंड को लेकर कई बार अभिषेक बनर्जी ने दिया धरना

तृणमूल कांग्रेस महासचिव अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में अपनी पार्टी के विरोध-प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए ममता बनर्जी ने कहा ‘कार्यकर्ता, सांसद, विधायक और ब्लॉक अध्यक्ष सभी लोग ट्रेन रद्द होने के बावजूद (दिसंबर में) नयी दिल्ली गए. वे अभिषेक के नेतृत्व में बस से वहां गए. मैंने पहले 48 घंटे तक धरना दिया था और इसके (धनराशि) लिए प्रधानमंत्री से एक से अधिक बार मुलाकात की थी. इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि मनरेगा का बकाया फंड तृणमूल खुद मनरेगा मजदूरों को सौंपेगी’.

( प्रभात खबर से साभार )

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