दिल्ली की सड़कें बनीं डिलीवरी ब्वॉय के लिए जानलेवा, जे़ेप्टो में काम करने वाले युवक की मौत

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दिल्ली एनसीार की सड़कें गिग वर्कर्स के लिए जानलेवा साबित हो रही हैं। बीते कुछ महीनों में हिट एंड रन की दूसरी घटना सामने आई है जिसमें एक डिलीवरी ब्वॉय की मौत हो गई।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बहन की शादी के लिए पैसे जुटाने 19-वर्षीय करण राजू ने ज़ेप्टो कंपनी में डिलीवरी ब्वॉय का काम शुरू किया था।

बीते 16 मई को दिल्ली के द्वारका इलाके में कार से टक्कर लगने से वो गंभीर रूप से घायल हो गया था और आखिरकार 18 मई को मौत हो गई।

डी सी पी (द्वारका) शंकर उपध्याय ने बताया कि आरोपी गाड़ी चालक मृतक को टक्कर मार के फरार हो गया। उसकी तलाश जारी है।

बीती 20 मई को ज़ेप्टो के डिलवरी वर्कर्स ने कैन्डल मार्च निकाली और करण के लिए इंसाफ़ की मांग की।

पीड़ित परिवार का कहना है कि इस मामले में पुलिस ने बहुत सुस्ती दिखाई लेकिन प्रदर्शन के बाद कार्यवाही आगे बढ़ी है।

करण के पिता राजू ने अखबार को बताया कि, “मुझे केवल उन लोगों के नाम मालूम चल जाएं जिन्होंने मेरे बेटे को सड़क पर मरने के लिए तड़पता हुआ छोड़ दिया था।”

साथ ही साथ उनका कहना है कि जिस गाड़ी ने उनके बेटे को मारा था उस गाड़ी के कुछ टुकड़े आज भी दुर्घटना स्थल पर पड़े हुए हैं। उन्होंने पुलिस को कुछ ब्लड सैम्पल्स भी दिए हैं जिसकी बिना पर पुलिस जाँच कर रही है।

पुलिस का कहना है कि दुर्घटना स्थल से मिले गाड़ी के टुकड़े एक टाटा की गाड़ी से मिलते हैं जो की क्षतिग्रस्त हालत में बरामद हुई हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि गाड़ी के मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया है और उससे पूछताछ की जा रही है।

16 मई की शाम को हुए सड़क हादसे के कुछ घंटों बाद करण के एक दोस्त ने उसे नज़दीकी दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती करवाया जहाँ से डॉक्टरों ने उसे सफदरजंग आस्पताल के लिए रेफर कर दिया।

मृतक के पिता ने बताया कि जब उन्हें एक्सीडेंट की जानकारी मिली तो उन्हें लगा कि कुछ दिनों के इलाज के बाद उनका बेटा ठीक हो जायेगा। “मगर जब हम अस्पताल पहुंचे, तो हमने देखा की वह वेंटिलेटर पर लेटा हुआ था।”

उन्होंने बताया कि उसकी गर्दन और एक पैर टूटे हुए थे और सर पर गहरी चोट आई थी। उस स्थिति में वह अपनी आँखें भी नहीं हिला पा रहा था।

इंडिया टुडे के अनुसार, ज़ेप्टो कंपनी ने परिजनों को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की है।

बीते जनवरी में ज़ोमैटो फूड डिलवरी ब्वॉय की भी इसी तरह सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी, जिस पर काफी हंगामा मचा था।

रोहिणी में नशे में धुत्त एक पुलिस कांस्टेबल ने सलिल त्रिपाठी को कार से टक्कर मार दी थी। उस समय ज़ोमैटो कंपनी ने परिजनों को 22 लाख रुपये आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी।

गिग वर्कर्स को कंपनी का कर्मचारी नहीं माना जाता, इसलिए उसका पीएफ़, ईएसआई या इंश्योरेंस भी नहीं होता। ऐसे में किसी दुर्घटना में उन्हें कहीं से भी आर्थिक मदद नहीं मिलती है।

ट्रेड यूनियनें लगातार मांग कर रही हैं कि गिग वर्कर्स को भी वर्कर की श्रेणी में रखा जाए ताकि उन्हें भी श्रम कानूनों का फायदा मिल सके।

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