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थर्ड वर्ल्ड सिनेमा, समानांतर सिनेमा और सामाजिक आन्दोलन का प्रभाव- Part-1

By मनीष आज़ाद सिनेमा का जिस तरीके से जन्म हुआ है, जिस तरीके से इसका विकास हुआ है, उस रूप में यह एक वैश्विक कला (global art) है। इसलिए दुनिया …

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Madhulik Jalali

“मैं नहीं चाहती मेरे ट्रॉमा का कोई मज़ाक़ उड़ाए”- कश्मीरी फ़िल्म डायरेक्टर मधुलिका जलाली

By आमिर मलिक  इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में कश्मीरी फ़िल्म डायरेक्टर मधुलिका जलाली की फ़िल्म ‘घर का पता’ की स्क्रीनिंग हुई। यह उनकी पहली फ़िल्म है, जिसमे उन्होंने डायरेक्टर …

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फ़ैज़ अहमद फ़ैज़: वो शायर जिनकी नज़्मों से आज के तानाशाह भी कांपते हैं…

By मनीष आज़ाद (भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे रूमानी और क्रांतिकारी शायरों में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (1911-1984) दर्जा सबसे ऊंचा है। एक ऐसा शायर जिसे जितनी शिद्दत से पाकिस्तान में याद …

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‘हिमालय दलित है’ : उत्तराखण्ड के जातिगत अन्तरविरोधों को उजागर करता काव्य संग्रह 

By चन्द्रकला पहाड़ के सामाजिक व सांस्कृतिक यर्थाथ को बयां करती युवा कवि मोहन मुक्त की हाल में प्रकाशित पुस्तक है ‘हिमालय दलित है’। इसमें संग्रहित कविताएं उत्तराखण्डी समाज में ही …

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एक ज़रूरी फ़िल्म ‘चिल्ड्रेन ऑफ हैवेन’; मासूमियत की खुशबू के 25 साल

By मनीष आजाद बच्चों की मासूम दुनिया को ध्वस्त करके ही हम बड़ों की ‘समझदार’ दुनिया बनी है। लेकिन अक्सर ही हम इस ‘समझदारी’ से इतना ऊब जाते हैं कि …

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एक ज़रूरी फ़िल्म Mephisto: एक कलाकार जिसने अपनी आत्मा नाज़ियों को बेच दी

By मनीष आज़ाद जर्मन फासीवाद पर वैसे तो कई बेहतरीन फिल्में हैं, लेकिन 1981 में आयी यह फिल्म एकदम अलग तरह की है! ‘हेन्डरिक’ एक स्टेज कलाकार है। वह आम …

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‘द जर्नी ऑफ़ फार्मर्स रिबेलियन’ किताब का चंडीगढ़ में विमोचनः एक रिपोर्ट

ऐतिहासिक किसान आंदोलन पर आधारित ‘द जर्नी ऑफ़ फार्मर्स रिबेलियन’ किताब का दिल्ली में विमोचन के बाद 24 सितम्बर को चंडीगढ़ में विमोचन किया गया। इसे एएफडीआर ने आयोजित किया …

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