न्यूनतम मजदूरी तय करने में देरी की रिपोर्ट से हड़बड़ाई मोदी सरकार, आनन-फानन में जारी किया बयान

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मोदी सरकार ने हाल में न्यूनतम मजदूरी तय करने के मुद्दे पर तीन साल के कार्यकाल वाले एक्सपर्ट ग्रुप का गठन किया है। इस समूह के गठन के बाद ऐसा अंदेशा जताए जाने लगा कि हो न हो इसका मकसद न्यूनतम वेतन और राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन तय करने में विलंब करना है।

इन खबरों के बाद श्रम मंत्रालय ने यह स्पष्टीकरण दिया है।

श्रम मंत्रालय ने कहा है कि सरकार का न्यूनतम वेतन और राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी तय करने में विलंब का कोई इरादा नहीं है।

मंत्रालय ने कहा कि, ”कुछ ऐसी रिपोर्ट आई हैं कि अंशधारक यह मानते हैं कि विशेषज्ञ ग्रुप को तीन साल का समय देने का उद्देश्य सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन और राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी तय करने में देरी करना है।”

मंत्रालय ने कहा, ”हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि सरकार की इस काम में देर करने की कोई मंशा नहीं है। एक्सपर्ट ग्रुप जल्द से जल्द सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपने जा रहा है।”

इससे पहले इसी महीने मंत्रालय ने घोषणा की थी कि केंद्र ने इस मुद्दे पर प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अजित मिश्रा की अगुवाई में एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया है। यह समूह न्यूनतम वेतन और मजदूरी तय करने के लिए तकनीकी जानकारी और सिफारिशें देगा। विशेषज्ञ समूह का कार्यकाल तीन साल का है।

विभिन्न श्रेणियों के श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी अलग-अलग हो सकती है। राष्ट्रीय स्तर पर न्यूनतम मजदूरी का तात्पर्य ऐसे वेतन से है, जो पूरे देश में सभी क्लास के श्रमिकों पर लागू होता है।

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