जल्द लागू होगा सोशल सिक्योरिटी कोड, श्रम मंत्रालय ने कर्मचारी मुआवजा नियमों पर मांगे सुझाव

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श्रम और रोजगार मंत्रालय ने सोशल सिक्योरिटी कोड के तहत कर्मियों और श्रमिकों के लिए मुआवजे से संबंधित नियमों को अधिसूचित कर दिया है। मंत्रालय ने इससे प्रभावित होनेवाले स्टेकहोल्डर्स से आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं।

श्रम मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के तहत कर्मचारी के मुआवजे से संबंधित मसौदा नियमों को संबंधित पक्षों के सुझावों और आपत्तियों के लिये इसे तीन जून 2021 को अधिसूचित कर दिया गया।

बयान के अनुसार अगर कोई सुझाव और आपत्ति है, तो उसे मसौदा नियमों की अधिसूचना की तारीख से 45 दिनों की अवधि के भीतर देना जरूरी है।

उम्मीद जताई जा रही है कि सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही सोशल सिक्योरिटी कोड लागू कर दिया जाएगा।

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 संगठित एवं असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों और श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ प्रदान करने के मकसद से सामाजिक सुरक्षा से संबंधित कानूनों में जरूरी संशोधन और उसका एकीकरण करती है।

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के अध्याय सात (कर्मचारी का मुआवजा) में अन्य बातों के साथ-साथ घातक दुर्घटनाओं, गंभीर शारीरिक चोटों या पेशेगत रोगों के मामले में मुआवजे के लिए नियोक्ता के दायित्वों से संबंधित प्रावधानों को शामिल किया गया है।

केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित कर्मचारी के मुआवजा से संबंधित मसौदा नियमों में दावे या निपटान के लिए आवेदन के तरीके, मुआवजे के विलंबित भुगतान के लिए ब्याज दर, कार्यवाही के स्थान एवं मामलों के हस्तांतरण, नोटिस एवं एक सक्षम प्राधिकारी से दूसरे प्राधिकारी को धन हस्तांतरित करने के तरीकों और मुआवजे के रूप में भुगतान किए गए धन के हस्तांतरण के लिए अन्य देशों के साथ की जाने वाली व्यवस्था से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के तहत कर्मचारी भविष्य निधि, कर्मचारी राज्य बीमा निगम, ग्रेच्युटी, मातृत्व लाभ, भवन एवं अन्य निर्माण कार्य से जुड़े श्रमिकों के संदर्भ में सामाजिक सुरक्षा एवं उपकर, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, गिग श्रमिकों एवं प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा और रोजगार से जुड़ी सूचना से संबंधित मसौदा नियमों को 13 नवंबर, 2020 को अधिसूचित किया गया था।

सोशल सिक्योरिटी कोड लागू होने के बाद किसी भी राज्य से आने वाले मजदूरों को सिर्फ एक ही जगह पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। उन्हें कंस्ट्रक्शन सेस का फायदा मिलेगा। रहने के लिए सस्ते में घर मिलेंगे।

बीमा कवर का फायदा देने के लिए यूनिवर्सल हेल्थ कार्ड मिलेगा। सरकार ने लेबर ब्यूरो को निर्देश दिया है कि प्रवासी मजदूरों से जुड़ा सर्वे जल्दी पूरा किया जाए।

नए प्रावधानों के मुताबिक, सभी कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र मिल सकेगा। संसद में इस बिल को पेश करते वक्त श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा था कि श्रमिकों की यह समस्या रही है कि वे यह सिद्ध ही नहीं कर पाते हैं कि वे किस संस्थान के श्रमिक हैं।

इसलिए श्रमिक को लेबर कोड के माध्यम से नियुक्ति-पत्र का कानूनी अधिकार दिया गया है। इसके साथ ही श्रमिकों को वेतन के डिजिटल भुगतान का प्रावधान है। साल में एक बार सभी श्रमिकों का हेल्थ चेकअप भी अनिवार्य किया गया है।

पहले किसी कर्मचारी को एक साल में न्यूनतम 240 दिन का काम करने के बाद ही हर 20 दिन पर एक दिन की छुट्टी पाने का अधिकार मिलता था। नए प्रावधानों में छुट्टी की पात्रता के लिए, 240 दिन की न्यूनतम शर्त को घटाकर 180 दिन कर दिया गया है।

सोशल सिक्योरिटी के तहत सोशल सिक्योरिटी और मैटर्निटी लाभ से जुड़े सभी 9 कानूनों को एक में शामिल किया गया है।

सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 के नए प्रावधानों में बताया गया है कि जिन लोगों को फिक्सड टर्म बेसिस पर नौकरी मिलेगी, उन्हें उतने दिन के आधार पर ग्रेच्युटी पाने का भी हक होगा। कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम करने वालों को उनके वेतन के साथ-साथ अब ग्रेच्युटी का फायदा भी मिलेगा।

वो कॉन्ट्रैक्ट कितने दिन का भी हो। अगर कर्मचारी नौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है तो ग्रेच्‍युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर उसे दिया जाएगा। बता दें कि ग्रेच्युटी का छोटा हिस्सा कर्मचारी की सैलरी से कटता है, लेकिन बड़ा हिस्सा कंपनी की तरफ से दिया जाता है।

 

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