गुड़गांव की फैक्ट्री में प्रवासी मज़दूर ने की आत्महत्या, पत्नी को दूसरे दिन मिली लाश

suicide

By खुशबू सिंह

हरियाणा के गुड़गांव स्थित कौटिल्या फैक्ट्री के भीतर एक प्रवासी मज़दूर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

घटना शुक्रवार सुबह 9.30 बजे की बताई जा रही है। मृतक का नाम सुभाष ढौंढियाल है और इनकी उम्र 42 साल बताई जा रही है।

मिली जानकारी के अनुसार, सुभाष ढौंढियाल गुरुवार की सुबह रोजाना की तरह फैक्ट्री गए थे, पर शुक्रवार की सुबह तक नहीं लौटे जबकि फैक्ट्री में सिर्फ दिन की शिफ़्ट में काम कराया जा रहा है।

सुभाष से एक रिश्तेदार ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि ‘दूसरे दिन जब वे नहीं लौटे तो उनकी पत्नी स्वाति ढौंढियाल उन्हें खोजते हुए फैक्ट्री पहुंची।’

रिश्तेदार के अनुसार, पहले तो कंपनी के गार्ड ने स्वाति को कंपनी के भीतर जाने नहीं दिया, लेकिन धीरे धीरे मज़दूर इकट्ठा होने लगे।

इसी बीच अंदर से एक फ़ैक्ट्री कर्मचारी ने बताया कि, ‘वहां रैक में किसी की लाश पड़ी है।’

आत्महत्या के कारणों अभी तक पता नहीं चल पाया है।

पत्नी को गेट पर ही रोक लिया

उसी फैक्ट्री में काम करने वाले एक अन्य मज़दूर ने बताया कि, ‘जब मृतक की पत्नी गार्ड के साथ फैक्ट्री के भीतर पहुंची तो उन्होंने देखा कि उनके पति की लाश शौचालय में लटकी हुई है।’

सुभाष ढौंढियाल उत्तराखंड के रहने वाले थे। वो अपनी पत्नी और तीन बेटियों के साथ दिल्ली के कापसहेड़ा में रह रहे थे।

सुभाष कापसहेड़ा में ही एक स्टेशनरी की दुकान चलाते थे, लेकिन पिछले 5 महीने से वे गुड़गांव के उद्योग बिहार फ़ेज़-1 में स्थित कैटिल्या फैक्ट्री में काम कर रहे थे।

सुभाष की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और क़ानूनी कार्यवाही की जा रही है।

इसके पहले गुड़गांव से चलकर अपने गांव पहुंचने वाले एक प्रवासी मज़दूर रोशन कुमार ने 25 मार्च को आत्महत्या कर ली थी। उनको वहां क्वारेंटीन सेंटर में रखा गया था और इसी दौरान सेंटर के भागने पर पुलिस वालों ने उनकी पिटाई कर दी थी।

इससे पहले भी हुई आत्महत्या

गुड़गांव के सेक्टर 53 में एक मज़दूर मुकेश ने 18 अप्रैल को आत्महत्या कर ली थी। छह लोगों के परिवार की अकेले ज़िम्मेदारी निभाने वाले मज़दूर ने निराशा में ये क़दम उठाया।

मुकेश के रिश्तेदारों ने बताया कि जबसे लॉकडाउन हुआ तबसे हालत बहुत ख़राब हो गई थी। हालांकि उससे पहले से ही हालत बुरी थी क्योंकि काम धाम कुछ चल नहीं रहा था।

मुकेश ने बच्चों को बचाने के लिए 12 हज़ार रुपये का मोबाइल बेच दिया। उससे मिले पैसे वो एक पंखा और दो चार किलो आटा लेकर आया और फिर घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

गौरतलब है लॉकडाउन के कारण बढ़ती बेरोजगारी दर के साथ-साथ आत्महत्या के मामले भी बढ़े हैं।

शोधार्थियों के एक समूह द्वारा एकत्र किए गए डाटा के अनुसार भारत में 19 मार्च से 2 मई के बीच 80 लोगों ने आत्महत्या को गले लगाया है। और 36 लोगों की मौत आर्थिक तंगी, भुखमरी से हुई है।

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